SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 303
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाँचो ही श्री जिनमंदिरो का अंतिम जीर्णोद्धार विक्रम संवत २००७ से २०१६ के बीच अखिल भारतीय जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्री संघ प्रतिनिधि शेठ श्री आणंदजी कल्याणजी (पेढी) संघने करवाया था। और उसके लिए पित्तलहर मंदिर के मूलनायक के बिना प्रायः समस्त श्री जिनबिंबो का विधिपूर्वक उत्थापन किया था । इन पाँचो ही श्री जिनमंदिरो का प्रबन्ध शेठ श्री कल्याणजी परमानंदजी पेढी सिरोही वर्षों से कर रही है और गत तीस वर्षों से पेढी का कुशल संचालन प्रमुख श्री पुखराजजी जुहारमलजी सिंघी (सिरोही निवासी) कर रहे है । इस पेढीने विक्रम संवत २०३५ में उपरोक्त पांचो श्री जिनमंदिरोमें पूर्व उत्थापित समस्त श्री जिनबिंबो की ध्वजदंड और कलश स्थापनपूर्वक पुनः प्रतिष्ठा करवाने का शुभ निर्णय किया । और उसीको ध्यानमें रखकर इस प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रसंग पर पधारने हेतु समग्र भारत के प्रत्येक समुदाय के पूज्य आचार्य भगवंतो, पूज्य मुनिभगवंतो तथा चतुर्विध श्री संघ को आग्रहपूर्वक निवेदन किया, तदनुसार श्रमण भगवान श्री महावीर परमात्मा की ७३वीं पाट परम्परा में हुए पांचाल देशोद्धारक कुमतस्वरूपस्थानकवासी सम्प्रदाय का त्याग करनेवाले, तत्त्वनिर्णय प्रासाद जैनतत्त्वादर्श, चतुर्थस्तुति निर्णय, ढुंढकमत समीक्षा, अज्ञानतिमिर भास्कर जैनमतवृक्षादि अनेक ग्रंथोकी रचना करनेमें चतुर, अपूर्व प्रतिभासंपन्न, संवेगीशाखा के प्रथम आचार्य आत्मारामजी के अपर नामसे सुप्रसिद्ध पू. आचार्य पुरन्दर श्रीमद् विजयानन्दसूरीश्वरजी महाराजा के अद्वितीय पट्टधर सद्धर्म संरक्षक निस्पृह शिरोमणि प्रौढ प्रतापी बडौदा कटोसन आदिके अनेक राजाओ को प्रतिबोध करनेवाले अखंड ब्रह्मचर्य के धारक आचार्य पुंगव श्रीमद् विजयकमलसूरीश्वरजी महाराजा के प्रथम पट्टधर और वचनसिद्ध पाठक-प्रवर श्री वीरविजयजी महाराज के शिष्यरत्न सकलागमरहस्यवेदि विविधप्रश्नोत्तरादि अनेक ग्रंथो के रचयिता ज्योतिर्विद् परम गीतार्थ आचार्यप्रवर श्रीमद् विजय दानसूरीश्वरजी महाराजा के पट्टालंकार सिद्धांतमहोदधि कर्मशास्त्र-निपुणमति सच्चारित्र चूडामणि મંત્રીશ્વર વિમલ ૨૯૧
SR No.006184
Book TitleAabu Tirthoddharak Mantrishwar Vimal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasuri
PublisherPanchprasthan Punyasmruti Prakashan
Publication Year2016
Total Pages306
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy