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श्री विजयपद्मसूरिविरचित गुरुणेमिसरिवयणा-तवगणसावगविहाबिए रम्मे ॥ गुरुमंदिरे पमोया-णमामि सिरिगोयमाइगुरू ॥ ६॥
॥श्री मधुमतीमंडन महावीरप्रभु चैत्यवंदनम् ॥
॥ आर्यावृत्तम् ॥ जयइ स जीवंतपहू-संपइ सासणणहंगणदिणयरो ॥ जस्सेह भव्यपडिमा-समिट्टसंदाणकप्पलया ॥ १ ॥ लहुबंधवगुणनेहा-नरवइणा गंदिवद्धणेणेसा ॥ जीवंते भगवंते-कारक्यिा देहमाणेणं ॥२॥ जीवंतसामिपडिमा-नाममिणं विइइमागये तम्हा ॥ दुक्कयमलपक्वालण-वारिसमा सुगइमइसुहया ॥३॥ अण्णाणतिमिरमाणु-सब्भावोयहिणिसीहिणीनाहं ॥ सिरिवद्धमाणबिंबं-विग्धंबुयवाउसारिच्छं ॥ ४॥ तिकालं सुहविहिणा-सुरपायवहियमणुण्णमाहप्पं ।। पणमंतु महावीरं-भविया ! वरधिजमेरुनिहं ॥ ५॥ जीवियसामिज्झाणं-कुणइ सया जो दढासया विमलं । पुण्णाणुबंधिपुण्ण-बंधइ से कुणउ संघहियं ।। ६॥