SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 296
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राकृतस्तोत्रप्रकाशः संतोसणा मणुया - पवयणविण्णायतित्थमाहप्पा ॥ उस पहुज्झाणाओ - खिष्पं साहंति नियकमला ॥ ४ ॥ तं कल्लाणनिहाणं-वियलियतमतिमिर मोहविसरोहं ॥ सुहभावणा नियाणं - भविया समरंतु हत्थिगिरिं ॥ ५ ॥ पूया पहावणा जे - कुर्णेति जहसत्ति हत्थिगिरितित्थे ॥ नियमा ते साते - सग्गपवग्गिसंपत्ती ॥ ६ ॥ २७३ ॥ श्रीतालध्वजसुमतिनाथ चैत्यवंदनम् ॥ ॥ आर्यावृत्तम् ॥ सासयसंपत्तियरो-जयइ जए विजियभावसत्तुगणो ॥ जसिह सच्चपहावो - सुमई से सचदेवति ॥ १ ॥ तालज्झयस्स गणणा - पंचसजीवणपसत्थकडेसुं ॥ aas are faar - दीसंति गुहा पसंतिदया ॥ २ ॥ तालज्झयणामसुरो-अस्सिमहिद्वायगो जिणयभत्तो ॥ तालज्झयत्ति तम्हा - मलपंकविणासभाणुसमो ॥ ३ ॥ तालज्झयाहिहाणा - तडिणी सत्तुंजईपकयसंगा ॥ पुरओ सायरसंगा - दीस त्याह भागमि ॥ ४ ॥ णिव्बुइदायगतित्थं तत्थ ठियं सुमइनाहमणवरयं ॥ वंदामि पुण्णभावा - णिच्चं झाएमि चित्तम्मि ।। ५ ॥ 1 १८
SR No.006174
Book TitleStotra Chintamanistatha Prakrit Stotra Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaypadmasuri
PublisherJain Granth Prakashak Sabha
Publication Year
Total Pages344
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy