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प्राकृतस्तोत्रप्रकाशः
संतोसणा मणुया - पवयणविण्णायतित्थमाहप्पा ॥ उस पहुज्झाणाओ - खिष्पं साहंति नियकमला ॥ ४ ॥ तं कल्लाणनिहाणं-वियलियतमतिमिर मोहविसरोहं ॥ सुहभावणा नियाणं - भविया समरंतु हत्थिगिरिं ॥ ५ ॥ पूया पहावणा जे - कुर्णेति जहसत्ति हत्थिगिरितित्थे ॥ नियमा ते साते - सग्गपवग्गिसंपत्ती ॥ ६ ॥
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॥ श्रीतालध्वजसुमतिनाथ चैत्यवंदनम् ॥
॥ आर्यावृत्तम् ॥ सासयसंपत्तियरो-जयइ जए विजियभावसत्तुगणो ॥ जसिह सच्चपहावो - सुमई से सचदेवति ॥ १ ॥ तालज्झयस्स गणणा - पंचसजीवणपसत्थकडेसुं ॥ aas are faar - दीसंति गुहा पसंतिदया ॥ २ ॥ तालज्झयणामसुरो-अस्सिमहिद्वायगो जिणयभत्तो ॥ तालज्झयत्ति तम्हा - मलपंकविणासभाणुसमो ॥ ३ ॥ तालज्झयाहिहाणा - तडिणी सत्तुंजईपकयसंगा ॥ पुरओ सायरसंगा - दीस त्याह भागमि ॥ ४ ॥ णिव्बुइदायगतित्थं तत्थ ठियं सुमइनाहमणवरयं ॥ वंदामि पुण्णभावा - णिच्चं झाएमि चित्तम्मि ।। ५ ॥ 1
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