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प्राकृतस्तोत्रप्रकाशः
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सट्टाणं चउभेया
दुहा विभिण्णप्पवित्तिजोगेहि ॥ इय०॥५९॥ साहावियपुण्णत्तं
जच्चरयणसंनिहं विबुहमण्णं ॥ इय०॥६०॥ मग्गियमंडणतुल्ला
___णेया परभावपुण्णया हेया ॥ इय० ॥ ६१॥ हीणवणस्सइकाए
__ उववज्जति न कयावि देवावि ॥ इय० ॥२॥ कप्पदुगावहिदेवा
जति खमा जलवणस्सइत्ति तए ॥ इय० ॥६३ ॥ इत्थी न सत्तमाए
पुहवीए जाइ जं तमावहिया ॥ इय० ॥६४॥ निरयसुरा तयणंतर
भवम्मि न लहंति निरयदेवत्तं ॥ इय० ॥६५॥ लहुठिइ पुहवीपमुहे
देवा जति न कणिटठाणत्ता ॥इय०॥६६ ॥ दुग्गइरक्खणदक्खो
- धम्मो सग्गइपदायगप्पवरो ॥ इय० ॥६७॥ धम्माओ सुहलद्धी
अहम्मलेसावि दुक्खसेढीआ ॥इय०॥६८॥