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प्राकृतस्तोत्रप्रकाशः चाउज्जामो धम्मो,
मज्झरहाणं विदेहखित्तम्मि ॥इय०॥२३॥ संजम सच्चासासं
जणगिरिदाणं तहेव चउभेयं ।इय०॥२४॥ णिग्गंथा णिग्गंथी
चउहि ठाणेहि केवली होज्जा ॥इय०॥२५॥ उदगसमाणो भावो
चउबिहो भावणा तहेव मया ॥इय०॥२६॥ चउहा संसारगई,
उवसग्गचउक्कमित्थ चउ भेयं ॥इय०॥२७॥ पाणाइवायभेया,
चत्तारि सुए जिणेहि पण्णत्ता ॥इय०॥२८॥ अलियादिण्णादाणं____ मेहुण मुच्छाइया तहा चउहा ॥इय०॥२९॥ अणुराहाणक्वत्ते,
चउतारे चउरविंदवे लवणे ॥इय०॥३०॥ तह चउतारे वुत्ते,
पुव्वासाढा हिहाण नक्खत्ते ॥इय०॥३१॥ उत्तरपढमासाढा, ... चउतारे चउविहा अकिंचणया ॥इय०॥३२॥