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णिग्गंथवत्थरुक्खा --
ata वत्थस्स होज्ज चउभंगा ॥ इय० ॥ १३ ॥
भिक्खुनिरुवणकाले,
चत्तारि घुणा वणसई चहा || इय० ॥ १४ ॥ नरलोयागमणेच्छा,
जाय देवाण कारणचक्का || २० || १५ || मिच्छत्तठिई चहा,
देवाण ठिई चव्विा पडिमा || इय० ॥ १६ ॥ चत्तारि णायबंधे,
धम्मक होवक्कमाइचउभेया ॥ । इय० ॥ १७ ॥
चकारणनिष्फण्णं,
श्री विजयपद्मसूरिविरचितः
कम्मज्जणमेव च विहो कोहो ॥ ० ॥ १८ ॥
चत्तारि अस्थिकाया,
अजीवकाया अरूविणो विइया ॥ ३० ॥ १९ ॥
फलसच्चमो सदेवा
पणिहाणं दुव्विहं तहा चउहा || इय० ॥ २० ॥ चत्तारि लोगवाला,
भैया चत्तारि दिद्विवायस्स || इय० ||२१||
पायच्छित्तं कालो,
पोग्गल परिणाम दुग्गई चहा || इय० ॥ २२ ॥