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________________ 94 /जयोदय महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन 35. शान्तः शमस्थायिभावउत्तमप्रकृतिर्मतः ॥ कुन्देन्दुसुन्दरच्छायः श्री नारायणदैवतः । अनित्यत्वादिनाशेषवस्तुनिः सारता तु या ॥ परमात्मस्वरूपं वा तस्यालम्बनमिष्यते । पुण्याश्रमहरिक्षेत्रतीर्थरम्यवनादयः ॥ महापुरुषसङ्गाद्यास्त स्योद्दीपनरूपिणः । रोमाञ्चाद्याश्चानुभावास्तथा स्युर्व्यभिचारिणः ।। निर्वेद-हर्ष - स्मरणमतिभूतदयादयः ॥ -सा.द. 3/245 उ., 246, 247, 248, 249, पू. 36. (अ) "अथ मुनीन्द्रसंमतो वत्सलः" का उल्लेख इस रस निरुपण के प्रारम्भ में ही कर देने से यह स्पष्ट होता है कि साहित्य दर्पणकार आचार्य विश्वनाथ को यह रस मान्य नहीं है । परन्तु भरत मुनि पर पूजनीय दृष्टि होने से विश्वनाथ ने इस रस का प्रतिपादन किया है । परन्तु नव्य आचार्यों ने इसे भाव पद से कहा है । (ब) स्फुटं चमत्कारितया वत्सलं च रसं विदुः । स्थायी वत्सलतास्नेहः पुत्राद्यालम्बनं मतम्। उद्दीपनानि तच्चेष्टा विद्याशौर्यदयादयः । आलिङ्गनाङ्गसंस्पर्शशिरश्चुम्बनमीक्षणम् ॥ पुलकानन्दबाष्पाद्या अनुभावाः प्रकीर्तिताः । सञ्चारिणोऽनिष्टशङ्काहर्षगर्वादयो मताः ।। पद्मगर्भच्छविर्वणो दैवतं लोकमातरः ॥ .- सा.द. 3/251, 252, 253, 254 37. उपनायकसंस्थायां मुनिगुरुपत्नीगतायां च । बहुनायकविषयायां रतौ तथानुभयनिष्ठायाम् ॥ प्रतिनायकनिष्ठत्वे तद्वदधमपात्रतिर्यगादिगते । शृङ्गारेऽनौचित्यं रौद्रे गुर्वादिगतकोपे ॥ शान्ते च हीननिष्ठे गुर्वाद्यलम्बने दास्ये । ब्रह्मवधाधुत्साहेऽधम पात्रगते तथा वीरे ॥ उत्तमपात्रगतत्वे भयानके ज्ञेयमेवमन्यत्र । - सा.द. 3/263, 264, 265, 266 पू. 38.- ज.म. 22/42 39.वही, 22/58 4 0.ज.म. 23/5 41. ज.म. 12/127 42. ज.म. 12/119 43. ज.म. 12/122 44. वही 13/83_45. ज.म. 8/41 46. वही, 7/46 47.ज.म. 7/47, 48 48.ज.म. 7/49 49. वही, 7/50 50. ज.म. 8/11 51.ज.म. 8/18, 19 52.वही, 8/7453. ज.म. 7/55 54. वही, 8/38 . 55.ज.म. 8/40 56.ज.म. 23/10,11 57. ज.म. 1/3 58. वही, 1/84 59.ज.म. 1/85 6 0.वही, 1/94 61. ज.म. 1/101 62. वही, 1/103 63.वही, 1/108 64.ज.म. 1/11065. ज.म. 2/3 66. वही, 2/6 67.वही, 2/22 68.ज.म. 2/38 69. वही, 9/41, 42 70. वही, 9/14 71.ज.म. 10/ 5 7 2.वही, 12/5 73. वही, 12/102,103 74. ज.म. 13/47 75.ज.म. 15/2 76. यमनियमासन प्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधिः। 77.ज.म. 16/11 78. ज.म. 16/12 79.वही, 17/103 80.ज.म. 18/28 81.वही, 19/83 82. वही, 19/101 83.वही, 20/50 . 84. णमो अरिहन्ताणं णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं । णमो उवज्झायणं, णमो लोएसब्बसाहूणां । 85. ज.म. 21/76 8 6.वही, 23/58 87.ज.म. 23/58 88.वही, 23/60 89. वही, 23/61 90.ज.म. 23/62 91.वही, 23/63 92.वही, 23/92 पू. 93. ज.म. 24/59, 60 94.वही, 25/4 95.ज.म. 26/74, 75, 77, 78 96. वही, 27/67 उत्त. 97.ज.म. 28/1 98.वही, 28/2, 3 99.वही, 28/6 100.वही, 28/7 000
SR No.006171
Book TitleJayoday Mahakavya Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailash Pandey
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra
Publication Year1996
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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