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न्यायालय सिविल न्यायाधीश (कनिष्ठ खंड) एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग-सांचोर पीठासीन अधिकारी
. ज्ञान प्रकाश गुप्ता, आर.जे.एस.
ज्ञान प्रकाश गुप्ता, जार
(रा.न्या.से.) आपराधिक प्रकरण संख्या-38/96 अभियोगीराजस्थान राज्य, जरिये सहायक लोक अभियोजक द्वितीय, सांचोर
विरुद्ध
अभियुक्त1. ईश्वरलाल वल्द श्री कालूराम, जाति-खत्री, निवासी-सांचोर सम्पादक, सत्यपुर टाईम्स, साप्ताहिक, सांचोर
अपराध अन्तर्गत धारा 295 ए भारतीय दंड संहिता उपस्थितिश्री उम्मेदसिंह चारण, सहायक लोक अभियोजक श्री बन्नेसिंह गोहिल, अधिवक्ता, अभियुक्त
दिनांक, 20 मई, 1998
- निर्णय - .' प्रस्तुत प्रकरण के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है, कि फरियादी लक्ष्मीचंद ने पुलिस थाना, सांचोर पर उपस्थित होकर दिनांक 25.5.94 को एक प्राथमिकी इस आशय की दर्ज करवाई कि मुस्तगीस जैन धर्म का अनुयायी है तथा मुलजिम ईश्वरलाल पत्र 'सत्यपुर टाईम्स' का सम्पादक है जो अपने आप को अनोप मण्डल का सदस्य बतलाता है। दिनांक 15.2.94 को प्रकाशित अपने समाचार पत्र सत्यपुर टाईम्स के अंक संख्या 42 में जैन बनियों की राक्षसों से तुलना की गई। अंक 43 दिनांक 22.2.94 में मुलजिम ने जैन महाजनान की तुलना रावण, हिरणकुश, कंस व कांसन से की तथा जैन धर्म के कट्टर विरोधी अनोप स्वामी द्वारा जगत हितकारीणी, हरचंद सोनी द्वारा प्रकाशित चिंतामणी, आत्मपुराण के अंशों को प्रकाशित कर जैन धर्मावलम्बियों के प्रति भयंकर दुष्प्रचार किया, जबकि उक्त पुस्तकें राज्य सरकार ने प्रतिबंधित कर रखी है। अंक संख्या 18 दिनांक 24.5.94 में भी घृणित प्रसार किया। इस प्रकार मुलजिम ने जैन " धर्म के प्रति दुष्प्रचार कर साम्प्रदायिक सद्भावना को गहरी ठेस पहुंचाई इत्यादि।
उक्त रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले में तफतीश की और बाद तफतीश अभियक्त के विरुद्ध यह अभियोग पत्र अन्तर्गत धारा 153ए व 295ए भा.दं.सं. में न्यायालय में पेश किया। अभियुक्त को आरोप अन्तर्गत धारा 153ए भा.दं.सं. से न्यायालय द्वारा उन्मोचित किया गया तथा उसे धारा 295ए भा.दं.सं. का आरोप अलग से विरचित कर सुनाया और समझाया तो उसने अपराध करना