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________________ अनूप मण्डल के विरुद्ध कार्यवाही में 1. श्री जैन खरतरगच्छा संघ-बाड़मेर, 2. साऊ टीपूबाई रतनचंद जैन-रिलीजियस ट्रस्ट, मुम्बई, 3. श्री वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक देरासर एण्ड उपाश्रय ट्रस्ट, मुम्बई का एवं शिवगंज-सुमेरपुर के युवा साथियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। जैन समाज से मैं अपेक्षा करता हूं कि जैन देव गुरु एवं धर्म के विरुद्ध किये जा रहे आक्रमण को : रोकने में सभी सक्रिय होकर कार्यवाही करेंगे तब ही इस संकलन के लिए किया गया परिश्रम सार्थक होगा। अनूप मण्डल के अनुयायियों द्वारा की गई मुख्य आपराधिक कार्यवाही में कुछ की सूची 1. सन् 1920 में 1500 अनुयायियों ने सिरोही जिले के 28 ग्रामों में मुख्यतया पाडीव, जावाल, वरलूठ, ऊंड, मंडवारिया, कालन्द्री में जैन धार्मिक स्थल पर आक्रमण कर लूट-पाट की, साधुओं, जैन धर्मावलम्बियों के साथ मारपीट की। 65 नेतृत्व करने वालों को सजा हुई व साहित्य जब्त करने के आदेश हुए। सन् 1954 में बाली तहसील के नाना बेड़ा क्षेत्र में जैन साधु पर प्राणघातक हमला कर उनके सिर पर नारियल फोड़ा एवं घायल अवस्था में रास्ते पर डाल दिया। सन् 1951-52 में सिरोही में धार्मिक स्थलों पर आक्रमण कर लूटपाट की गई एवं धर्मावलम्बियों को घायल किया गया। 4. सन् 1956 एवं सन् 1971 में पर्युषण पर्व के दौरान पिण्डवाड़ा में उपाश्रयों में तोड़-फोड़, लूट-पाट एवं साधुओं पर हमला किया गया। 5. सन् 1975 में सुजानपुरा में मंदिर एवं उपाश्रय में तोड़-फोड़, गाली-गलौज व मारपीट की गई। 6. 25 अगस्त 1980 को सिरोही के कोलरगढ़ मंदिर में पूज्य रोहितविजयजी महाराज के ऊपर प्राणघातक हमला किया जिससे उनका स्वर्गवास हो गया। इस तीर्थ की समग्र सामग्री को आग लगा दी गई। सन् 1983 में सिरोही के अनेक गांवों में मेले आयोजित कर जैन धर्म के विरुद्ध प्रतिबंधित पुस्तकों का प्रचार किया गया एवं जिसने भी विरोध किया उन पर प्राणघातक हमले किये व उपाश्रयों पर तोड़-फोड़ की। 8. 12 जून 1997 की रात्रि में भीमाणा में पूज्य गच्छाधिपति श्री जयघोषसूरीश्वरजी के शिष्यों पर । प्राणघातक हमला किया गया। 9. 20 अगस्त 1999 को रोहिड़ा में पूज्य आचार्य पदमसूरीश्वरजी महाराज एवं उपाश्रय पर हमला हुआ। 26 जुलाई 2012 को आहोर (जिला जालोर) में धर्मस्थल पर विराजमान धर्माचार्यों के साथ गाली-गलौज एवं अभद्र व्यवहार किया। आचार्य भगवतंत अभयदेवसूरीश्वरजी वर्ष 2012 में श्री पारसवाड़ी जैन उपाश्रय में आहोर में चातुर्मास में विराजमान थे। दिनांक 26.07.2012 को 15 .
SR No.006170
Book TitleAnup Mandal Ki Apradhik Karyavahi Ke Viruddh Rajy Sarkar Dwara Jari Adhisuchnaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
PublisherBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
Publication Year2015
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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