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________________ इन सब के बावजूद यह साहित्य विशेष कर 'जगतहितकारिणी' ग्रंथ का निरन्तर प्रकाशन, वितरण एवं मेले आयोजित कर प्रचार-प्रसार करने का कार्य जारी है। यही नहीं इन्होंने इस पुस्तक के वेबसाईट पर प्रचारार्थ डाल रखा है, जो साइबर क्राइम के साथ ही धारा 153ए एवं 295ए भारतीय दण्ड संहिता (इंडियन पेनल कोड) में दण्डनीय है। अनूप मण्डल द्वारा पचपदरा से प्रकाशित 'श्री निकलंक एक्सप्रेस' तथा अहमदाबाद से प्रकाशित 'मारवाड़ मित्र' में नियमित तौर से प्रतिबंधित साहित्य का प्रकाशन किया जाता रहा, जो प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया को निवेदन कर दण्डित (कड़ी भर्त्सना) करा बन्द कराये गये । सांचोर से प्रकाशित 'सत्यपुर टाइम्स' में भी संपादक प्रतिबंधित साहित्य को प्रकाशित कर रहा था। संपादक ईश्वरलाल खत्री के विरुद्ध मुकदमा कर सम्माननीय पूर्व विधायक श्री लक्ष्मीचंद मेहता ने उसे तीन वर्ष का कारावास एवं 5000/- रुपये का अर्थदण्ड की सजा दिलाकर समाचार पत्र बंद करवाया। 'श्री निकलंक एक्सप्रेस' में समय-समय पर प्रकाशित सूचना के आधार पर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसा साहित्य रखने वाले व्यक्तियों की सूची बनाई गई तथा अनूप मण्डल द्वारा 'राजस्थान रिलीजियस बिल्डिंग एवं प्लेसेज एक्ट' के प्रावधानों के उल्लंघन में बनाये गये धार्मिक स्थल की सूची बनाई गई। यह सूचियां मुख्यमंत्रीजी को दी गई। अनूप मण्डल के भाविकों द्वारा समय-समय पर पूज्य साधु-साध्वी जी पर प्राणघातक हमलों एवं धार्मिक स्थलों पर आक्रमण लूटपाट के मामलों में से कुछेक का संक्षिप्त विवरण की अलग सूची इस संकलन में दी गई है। अनूप मण्डल की उपरोक्त वर्णित गतिविधियों के विरोध में दिनांक 2 नवम्बर 1996 को मुख्यमंत्रीजी से संस्थान के पदाधिकारियों का प्रतिनिधि मण्डल मिला व प्रतिबंधित साहित्य को जब्त करने एवं इनके मेलों पर रोक लगाने का निवेदन किया। मुख्यमंत्रीजी ने अनूप मण्डल के मेलों पर रोक लगाने के आदेश सभी जिलों को भेजने का आश्वासन दिया। अनूप मण्डल की जैन विरोधी गतिविधियों पर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करने व उन पर रोक लगाने के लिए एक प्रतिनिधि मण्डल संस्थान के अध्यक्ष के नेतृत्व में जयपुर जाकर 5 जुलाई 1997 को मुख्यमंत्री व उनके सहयोगी मंत्रियों व सचिवों से मिला। इस प्रतिनिधि मण्डल में संस्थान के आह्वान ,जैन विधायकगण, प्रशासनिक अधिकारी, सभी जैन संघों के पदाधिकारी शामिल हुए। पर, राज्य सरकार ने प्रतिनिधि मण्डल को समुचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया व बाद में की गई कार्यवाही का एक परिपत्र जारी किया, जो इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया है। दिनांक 5 जुलाई, 1997 को जयपुर में एक प्रेस कान्फ्रेंस भी की गई, जिसमें प्रेस प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन व अनूप मण्डल की गतिविधियों के बारे में दस्तावेजात सहित तथ्यों को बताया गया। समस्त तथ्यों का विवरण 6 से 7 जुलाई 1997 के निम्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ 12+
SR No.006170
Book TitleAnup Mandal Ki Apradhik Karyavahi Ke Viruddh Rajy Sarkar Dwara Jari Adhisuchnaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
PublisherBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
Publication Year2015
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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