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(12) बताने वाला झूठा। सुपात्र के तिलक नहीं होता और कुपात्र के सींग नहीं होते। अतः सुपात्र कुपात्र के ऐसे लक्षण बताओ कि उन लक्षणों को दुनियाँ भर में कोई भी मजहब वाला खण्डन न कर सके।"
"जीव हिंसा करे, करावे, करने को भला जाने यह पहला लक्षण कुपात्र का। चोरी करे, करावे, करता को भला जाने यह दूसरा लक्षण कुपात्र का। झूल बोले, बोलावे, बोलते को भला जाने यह तीसरा लक्षण। मैथुन सेवन करे, करावे, करताने भला जाने यह चौथा लक्षण। परिग्रह रखे, रखावे, रखता को भला जाने यह पाँचवाँ लक्षण। जिसमें ये पाँचों लक्षण पावे वह कुपात्र, न पावे वह सुपात्र । पांच में से एक भी पावे तो कुपात्र।"
इस ऊपर लिखाई गई चर्चा में ग्यारह प्रश्न उठाये गये हैं और उनमें पाप तथा पुण्य होने का प्रश्न किया है। इसका सीधा उत्तर यही देना चाहिये था कि-इन कार्यों में पाप होता है। अथवा पुण्य होता है। परन्तु ऐसा उत्तर न देकर चर्चा वाले ने गोलमोल उत्तर देने का प्रयत्न किया है। अतः हमारा चर्चावादी महाशय से पूछना यह है कि-उक्त ग्यारह कार्यों में पुण्य होता है या पाप होता है? इसका वे खुलासा उत्तर दें तथा इस चर्चा में जो गृहस्थ नीति तथा राजनीति बताई गई है। उनका पूर्ण पालन करने वाले को पाप होता है या पुण्य? तथा राजनीति का पूर्ण पालन करने वाला सुपात्र है या कुपात्र? एवं गृहस्थ नीति का पूर्ण पालन करने वाला गृहस्थ सुपात्र है या कुपात्र ? वे दोनों धार्मिक हैं या पापी? इन प्रश्नों का खुलासा उत्तर देना चाहिये।