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बंकचूलचरिवं
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षष्ठ सर्ग
१. संसार में व्रतोंको ग्रहण करना जब मनुष्यों के लिए सरल कार्य नहीं है तब उनको ग्रहण कर पालन करना कठिन क्यों नहीं होगा ?
२. जो व्यक्ति व्रतों को ग्रहण कर उनका दृढ मन से पालन करता है उसके अकल्पित आई हुई विपत्तियां भी नष्ट हो जाती हैं ।
३. बंकचूल नियम को ग्रहण कर उनका मन से पालन करता है । अत: उसकी आपदाएं किस प्रकार नष्ट होती हैं, पाठक देखें ।
४. एक बार वह ग्रीष्मकाल में प्रसन्नचित्त होकर अपनी भील सेना को लेकर • एक गांव को लूटने के लिए गया ।
५-६. इस गांव को लूटने के लिए चौर मिलकर यहां आ रहे हैं - इस गुप्त रहस्य को पाकर भयभीत हो सभी मनुष्य अपनी कीमती वस्तुओं को लेकर, घर के ताला देकर और गांव छोड़कर अन्यत्र चले गए ।
७. बंकचूल भील सेना के साथ प्रसन्नतापूर्वक अचानक वहां आया। गांव को जनशून्य देखकर उसके मन में बहुत आश्चर्य हुआ ।
८. सभी मनुष्य गांव छोड़कर अभी कहां गए हैं? हमें गांव लूटने का अच्छा अवसर मिला है ।
९. उसने भीलों से कहा- तुम शीघ्र घरों में जाओ और तुम्हें जो वस्तु मूल्यवान् प्रतीत हो उसे ले लो, यह मेरी आज्ञा है ।
१०. आज्ञा पाकर सभी भील कीमती वस्तु लेने गए। लेकिन प्रयत्न करने पर भी किसी को कोई वस्तु प्राप्त नहीं हुई ।
११-१२. तब वे रिक्तहस्त बंकचूल के पास आए और बोले- निश्चित ही हमारे आगमन का भेद उन लोगों को मिल गया था । अतः वे सभी अपनी समस्त मूल्यवान् वस्तुए लेकर और हम से भय खाकर अन्यत्र चले गए। इसीलिए हमें अभी कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ ।