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बंकचूलचरियं
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२४. किन्तु एक निवेदन है उस पर आप अभी ध्यान दें। यह चौरों की बस्ती है । मैं उसका स्वामी हूं।
२५. मैं आपसे कहता हूं कि आप यहां सुखपूर्वक रहें । मुझे कोई भी बाधा नहीं है।
२६. लेकिन आप चातुर्मास में यहां के किसी भी व्यक्ति को उपदेश नहीं दे सकते । यह मेरा निवेदन है।
२७. आप जिस कार्य को छोड़ने के लिए कहते हैं उसका हम सब आचरण करते हैं। .
२८. अभी चोरी ही हमारी जीविका का साधन है । अन्य कोई साधन नहीं
है।
२९. हम आपको स्थान देकर मूल में हानि नहीं चाहते । लाभ की तो बात ही कहां है?
३०. यदि आपको मेरा निवेदन मान्य हो तो आप सुखपूर्वक यहां अपना चातुर्मास करें।
३१. बंकचूल का यह निवेदन सुनकर समयज्ञ आचार्य ने उसे तत्काल स्वीकार कर लिया।
___३२. बंकचूल ने रहने के लिए स्थान दे दिया। सुन्दर स्थान को पाकर वे वहीं ठहर गए।
३३. आचार्य ने समस्त साधुओं को बुलाकर सब स्थिति बताई और उपदेश देने के लिए मना की।
३४. आचार्य अपने शिष्यों के साथ वहां पावस बिताने लगे। वे किसी को उपदेश नहीं देते । अपने वचन का पालन करते हैं।
३५. वे स्वाध्याय, ध्यान में लीन रहकर आत्म-साधना में तत्पर रहने लगे और प्रसन्न मन से अपना समय बिताने लगे।