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मियापुत्तचरियं
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२४. मृगापुत्र का पूर्वभव सुनकर गौतमस्वामी ने पूछा- वह कहां जायेगा?
२५-२६. तब भगवान् ने कहा- वह मृगापुत्र बालक २६ वर्ष की मनुष्यायु को भोग कर, मर कर वैताढ्य पर्वत पर क्रूर और अधार्मिक सिंह होगा।
२७. वह वहां बहुत पापों का अर्जन करेगा। मर कर वह प्रथम नरक में उत्पन्न होगा।
२८. वहां से निकलकर वह पक्षियोनि को प्राप्त करेगा और मर कर तीसरे नरक में उत्पन्न होगा।
- २९. वहां का आयुष्य भोग कर वह पुन: सिंह होगा और मर कर चौथे नरक में जायेगा।
३०-३१. वहां से निकलकर वह सर्प होगा और मर कर पांचवें नरक में उत्पन्न होकर, अपना आयुष्य भोग कर स्वकृत कर्मों के फल से स्त्री होगा।
३२. मर कर वह छठे नरक में जायेगा। वहां का आयुष्य भोगकर वह मनुष्य होगा।
३३-३४. मर कर वह सातवें नरक में उत्पन्न होकर, अपना आयुष्य भोगकर पंचेन्द्रिय जलचर जीवों की विविध योनियों में उत्पन्न होगा।
३५. उन जीवों की १२ ॥ लाख कुल कोटियां हैं। उनकी एक-एक कोटि में वह लाख बार उत्पन्न होगा।