________________
१४१
(८) सिंह: ।
सुणेऊण भवं पुव्वं, पुच्छेइ भगवन्तं य, तया भणेइ तं वीरो, राउयं य भोत्तूण,
लद्धूण मरणं पच्छा, हुवेहिइ इभारी य.
तओ णिस्सरिऊणं सो, लद्धूण मरणं तच्चे,
गोयमो 1
मियापुत्तस्स अयं कहि गमिस्सइ ॥२४॥
मियापुत्तो य बालगो छव्वीसवरिसस्स
य
1
वेअड्डपव्वयम्मि सो महाअहम्मओ ॥ २६ ॥
करो
(जुग्ग)
पाइयपच्चूसो
संचिणिस्सइ पावाई, लहेऊण मई अज्जे, णारयम्मि जणिस्सइ ॥२७॥
बहूई तत्थ सो तया 1
भोत्तूण आउसं तत्थ, पुणो सीहो लद्धूण मरणं चोत्थे, णिरयम्मि
1
॥२५ ॥
पक्खिजोणि लहेहि । णिरयम्मि
लहेऊण जणि पच्छा, सो हुविस्सइ इत्थी य,
जणिस्सइ ॥२८॥
हुविस्सइ । गमिस्सइ ॥२९॥
ओ णिस्सरिऊणं. सो, सो, भुअंगमो भुअंगमो हुवेहि । लहेऊण म तत्थ, पंचमे णिरये तया
॥३०॥
(जुग्ग)
भोत्तूण आउसं णिअं । णिअकम्मविवागओ ॥३१॥
कालं काऊण छट्ठम्मि, णिरये स गमिस्स । भोत्तूण आउसं तत्थ, होहिइ मणुओ य सो ॥३२॥
काऊण मरणं तत्थ, सत्त लहेऊण जणि तत्थ, भोत्तूण पंचेंदि जीवेसु, लहिस्सेइ जणि सो य, अद्धबारहलक्खा, कुलकोडी
1
जलयरेसु गोयमो ! तस्स विविहजोणिसुं ॥३४॥ य अस्थि से I
तम्मि एगम्मि एगम्मि, लक्खवारं जणेहिइ ॥ ३५ ॥
णिरये तयां 1
आउसं णिअं ॥ ३३ ॥