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मियापुत्तचरियं
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द्वितीयसर्ग
१. ग्रामानुग्राम विहरण करते हुए मनुष्यों को सदा सन्मार्ग दिखाते हुए भगवान् महावीर शिष्यों सहित उस मृगाग्राम में आये ।
२. भगवान् का आगमन सुनकर भक्तजन वहां आते है । गृहांगन में आई हुई गंगा में कौन स्नान करना नहीं चाहता ?
३. मनुष्यों की आवाज सुनकर एक अंधे व्यक्ति ने पूछा- ये कहां जा रहे हैं? क्या यहां कोई उत्सव है ?
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४. उसकी वाणी सुनकर एक व्यक्ति ने कहा – कोई महोत्सव नहीं है अभी इस नगरी में भगवान् महावीर शिष्यों सहित आये हैं ।
५.
. उनके दर्शन करने के लिए तथा धर्मोपदेश सुनने के लिए मनुष्य जा रहे हैं । इनके जाने का अन्य कोई हेतु नहीं है ।
६. उस व्यक्ति की वाणी सुनकर वह अंधा मनुष्य भगवान् के दर्शन करने के लिए शीघ्र उत्कंठित हुआ। कौन व्यक्ति भगवान् के दर्शन करना नहीं चाहता ? ७. वह यष्टि लेकर उस व्यक्ति के साथ भगवान् के स्थान पर गया । दर्शन करके वह भगवान् का धर्मोपदेश सुनने लगा ।
८. भगवान् का प्रवचन सुनकर मनुष्य अपने घर चले गये । उस अंधे व्यक्ति को देखकर इंद्रभूति गौतम ने भगवान् को पूछा
९. संसार में अभी क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो जन्मांध और जन्मांधरूप है ? भगवान् ने कहा -हां ।
१०. गौतम स्वामी ने साश्चर्य पूछा- वह अभी कहां है ? भगवान् ने कहावह इस नगर के राजा का पुत्र है ।
११. रानी मृगादेवी उसका गुप्त रूप से पालन कर रही है । भगवान् की इस वाणी को सुनकर गौतम स्वामी ने कहा
१२. उसको देखने के लिए मेरा मन इच्छुक है । आप मुझे आज्ञा दें | नवीन को देखने के लिए कौन उत्सुक नहीं होता ?
वस्तु