SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८. रागमंजरी रूपमाला की वाद्यमंडली ने जो यमन राग में प्रार्थना की, वह सबके मन को जीत गई । महाराजकुमार जितवाहन ने रूपमाला के सामने देखकर कहा-'रूप ! आज तुम्हारे कलाकारों ने अपनी कला में प्राण फूंका है।' विक्रमा भी वाद्यमंडली की निपुणता पर बहुत प्रसन्न हुई । उसने रूपमाला से कहा- 'बहन ! ऐसा उत्तम साथ भाग्य से ही प्राप्त होता है।' फिर रूपमाला ने कुछ समय तक 'ऊर्मिनृत्य' प्रस्तुत किया । ऊर्मिनृत्य छोटा होता है, पर वह अन्त:करण में ऊर्मियां प्रकट करने में सक्षम होता है। विक्रमाने रूपमाला के इस नृत्य को बहुत सराहा । फिर मदन और काममाला का नृत्य प्रारंभ हुआ । विक्रमारूपी विक्रम ने वैताल को भोजन करने का गुप्त संकेत दिया। वैताल तत्काल उठकर खण्ड के बाहर चला गया। दोनों बहनों ने कला, भाव, अभिनय, मुद्रा आदि से अत्यन्त समृद्ध बना हुआ 'काम-प्रकोप नृत्य प्रारम्भ किया । नर और नारी कोई निराली वस्तु नहीं है - एक ही पक्षी की दो पांखें हैं। दोनों का सहकारी सृष्टि का सुख, आयु और तेज है । काम का प्रकोप प्रत्येक प्राणी पर रहता ही है। संसार में ऐसा एक भी प्राणी नहीं है, जो काम से मुक्त हो । पुरुष और प्रकृति के साहचर्य की मधुर प्रेरणा का नाम ही कामदेव है-यही रतिनाथ है, यही अनंग है। और नवयौवना के मन में तब 'पिउ-मिलन' की आकांक्षा जागती है और जब प्रियतम आंखों की पलकों के पीछे छिपा रह जाता है, तब कामातुर नारी के हृदय की पीड़ा अकथ्य होती है - इस भाव को दोनों बहनों ने अपने नृत्य के माध्यम से अभिव्यक्ति दी । रूपमाला की दोनों बहनें कला में श्रेष्ठ थीं- उनका रूप भी अनुपम था, पर विक्रमा जैसा सौन्दर्य उन्हें प्राप्त नहीं था । दोनों बहनों के नृत्य के भावाभिनय में आकण्ठ डूबा हुआ महाराजकुमार जितवाहन का मित्र महाबलाधिकृत नृत्यांगनाओं से भी अधिक विक्रमा के रूप का पुजारी बन गया था। वह उसके रूप का पान करना चाहता था। उसका मन व्याकुल था विक्रमा को बाहुपाश में भरने के लिए। वीर विक्रमादित्य ८६
SR No.006163
Book TitleVeer Vikramaditya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahraj Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy