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________________ रूपमाला ने अपनी दोनों बहनों और गायिका विक्रमा का परिचय दिया। वाद्यमंडली में एक वीणावादिका, एक मृदंगवादिका, दो तंबूरवादिकाएं और दो सुषिरवाद्यवादिकाएं थीं। दो अन्य वादिकाएं थीं। इस प्रकार वाद्यमंडली में आठ स्त्रियां थीं। वे सब लगभग तीस वर्ष के वय वाली, स्वस्थ और सुन्दर थीं। मुख्य परिचारिका ने सबको यथास्थान बिठाया। प्रतिदिन के कार्यक्रम के अनुसार रात्रि के प्रथम प्रहर के सम्पन्न होने पर नृत्य-संगीत प्रारम्भ होता था-कभी-कभी राजकन्या नृत्य भी करती और संगीत भी गाती थी। रूपमाला ने मुख्य परिचारिका माधवी की ओर देखकर कहा- 'मंजरी देवी नहीं आयीं?' __ 'अभी आने ही वाली हैं। उनको लेने के लिए रथ तो कभी का जा चुका है।' माधवी ने कहा। कामकला ने रूपमाला से पूछा- 'कौन मंजरी देवी?' 'राजकुमारी के नृत्य-संगीत का अभ्यास करने वाली आचार्या हैं। उनका वय लगभग पचास वर्ष का है। नृत्य और संगीत-शास्त्र में इतनी निपुण हैं कि बड़े-बड़े आचार्य उनके समक्ष बौने पड़ते हैं।' रूपमाला ने कहा। फिर तो वाद्यमंडली के साथ संगीत की चर्चा होने लगी। विक्रमादित्य जब अवधूत के वेश में देश-निष्कासन का दंड भोग रहे थे तब उन्होंने एक आश्रम में संगीत का उच्च अभ्यास किया था और बाल्यकाल में भी संगीतशास्त्र पढ़ा था। इस प्रकार उन्हें संगीत का परिपक्व ज्ञान था। उन्होंने भी वाद्यमंडली के साथ विविध राग-रागिनियों के विषय में चर्चा की। रात्रि के प्रथम प्रहर की समाप्ति की सूचना देने के लिए एक झालर बज उठी। __वाद्यमंडली की सदस्याएं अपने-अपने वाद्य व्यवस्थित करने लगीं और इतने में ही स्वस्थ और संयम के बल से परिपूर्ण मंजरी देवी ने खंड में प्रवेश किया। सभी ने मंजरी देवी को प्रणाम किया। मंजरी देवी अपने आसन पर बैठ गईं। रूपमाला ने अपनी दोनों बहनों तथा विक्रमा का परिचय दिया। ___बातचीत चल रही थी, इतने में ही राजकुमारी ने खंड में प्रवेश किया। सभी स्त्रियां अपने-अपने आसन से उठीं। विक्रमा भी उठ खड़ी हो गई और वह राजकुमारी के देवदुर्लभ रूप से जगमगाती काया को एकटक निहारने लगी। 'ओह! यह तो चित्रांकन से भी सौ गुना अधिक सुन्दर और आकर्षक है। ऐसी त्रिभुवनमोहिनी नारी के हृदय में पुरुष जाति के प्रति घृणा कैसे रहती होगी ?' ७४ वीर विक्रमादित्य
SR No.006163
Book TitleVeer Vikramaditya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahraj Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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