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________________ प्रकाशकीय चारित्र चक्रवर्ती, रससिद्ध महाकवि पू. आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज के प्रशिष्य एवम् सन्त शिरोमणि महाकवि पू. आचार्य विद्यासागरजी महाराज के प्रभावक शिष्य पू. मुनिपुंगव सुधासागरजी एक ओर इतिहास-निर्माणी सांस्कृतिक उपक्रमों के प्रेरक हैं और समाज के आबालवृद्ध समुदाय के सत्पथदर्शक हैं तो दूसरी ओर वे जैनाचार्यों के कालजयी साहित्य के अनुशीलन, परिशीलन एवम् व्यापक अनुसंधान हेतु विद्वानों का ध्यानाकर्षित करते रहते हैं। पूज्य मुनिपुंगवश्री के आशीष से लिखित शोध-प्रबन्धों की श्रृंखला में डॉ. श्रीमती कामिनी जैन के वैदुष्ययुक्त अध्यवसाय से संग्रथित प्रस्तुत प्रबन्ध “वीरोदय महाकाव्य और भगवान महावीर के जीवन चरित का समीक्षात्मक अध्ययन" जिस पर लेखिका को 'मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय' द्वारा पीएच.डी. उपाधि से अलंकृत हुयी है, भगवान ऋषभदेव ग्रन्थमाला, सांगानेर-जयपुर के सहभागिता से प्रकाशित करते हुए केन्द्र अति हर्षित है। - आचार्य ज्ञानसागर वागर्थ विमर्श केन्द्र की स्थापना की पीठिका में पूज्य मुनिवर का भाव है कि जैनाचार्यों की कालजयी कृतियाँ समाज के औदासीन्य से काल-कवलित न हो जायँ तथा साम्प्रदायिकता की कलुषित भावना का शिकार होकर उपेक्षित न हों तथा उनका सम्यक् मूल्यांकन हो सके, साहित्य के इतिहास में उनका यथानुरूप समादृत स्थान प्राप्त हो, श्रमण साहित्य का विद्वद् वर्ग में प्रचार/प्रसार हो, जैनेतर विद्वान् भी जैनाचार्यों की प्रतिभा एवम् विश्व संस्कृति को प्रदत्त उनके अवदान से अवगत
SR No.006158
Book TitleViroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamini Jain
PublisherBhagwan Rushabhdev Granthmala
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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