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तृतीय अध्याय
वीरोदय का स्वरूप
परिच्छेद - 1 (क) वीरोदय महाकाव्य का प्रतिपाद्य विषय
(ख) महावीर के जन्म के पूर्व भारत की सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति (ग) महावीर के पूर्वभवों का वर्णन
(घ) महावीर का समग्र जीवन-दर्शन
परिच्छेद - 2 (क) भ. महावीर के उपदेशों का तात्कालिक राजाओं पर प्रभाव (ख) गृहस्थधर्म और मुनिधर्म का वर्णन
परिच्छेद - 3 (क) समोशरण की रचना और उसका वैशिष्ट्य
(ख) दिव्यध्वनि का प्रभाव (ग) सिद्धान्तों की प्ररूपणा
परिच्छेद - - 4 (क) सर्वज्ञता की सिद्धि
(ख) भ. महावीर का मोक्ष-गमन (ग) पौराणिक आख्यानों का दिग्दर्शन
91 - 180
चतुर्थ अध्याय
वीरोदय का काव्यात्मक मूल्यांकन
परिच्छेद 1 कवि की काव्यात्मकता, काव्य के प्रमुख अंग और वीरोदय में छन्द प्रयोग
परिच्छेद - 2 वीरोदय में अलंकार एवं रस प्रयोग
परिच्छेद - 3 वीरोदय की भाषा शैली तथा अन्य काव्यों से तुलना
181 - 244
पंचम अध्याय
वीरोदय महाकाव्य का सांस्कृतिक एवं सामाजिक विवेचन परिच्छेद 1 सांस्कृतिक एवं सामाजिक चित्रण - वीरोदय में वर्णित भारतीय
245-288
संस्कृति/वर्णव्यवस्था/परिवार/समाज/ सामाजिक संगठन / नीतिगत व्यवस्था / राजनैतिक व्यवस्था / दण्ड व्यवस्था / आर्थिक व्यवस्था/सांस्कृतिक व्यवस्था / समाज में अनुशासन / सामाजिक रीति-रिवाज / समानता व समता का महत्त्व / मन्त्र एवं