SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (viii) प्रो. डॉ. प्रेम सुमन जैन के मार्गदर्शन, पूर्ण सहयोग एवं अपूर्व स्नेह के प्रति जितने शब्दों में आभार व्यक्त करूँ, बहुत कम है तथापि हार्दिक कृतज्ञता निवेदित करती हैं। साथ ही डॉ. साहब की धर्मपत्नी श्रीमती डॉ. सरोज जैन के वात्सल्यभाव के प्रति तथा परिजनों के सहयोग एवं विभाग के विद्वान डॉ. उदयचन्द जैन, विभागाध्यक्ष डॉ. हुकमचन्द जैन के मार्गदर्शन एवं सहयोग के प्रति भी आभार व्यक्त करती हूँ। अपभ्रंश अकादमी के निदेशक प्रज्ञामनीषी डॉ. कमलचन्द सौगाणी, प्राचार्य डॉ. शीतलचन्द जैन, डॉ. पी. सी. जैन, डॉ विमल कुमार जैन जयपुर, डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन गाजियाबाद, आदि सभी विद्वज्जनों का समय-समय पर मार्ग दर्शन मिलता रहा है, अस्तु इनके प्रति भी आभारी हूँ। मेरे अनुसंधेय विषय को इस रूप में प्रस्तुत करने में मेरे पति डॉ. सनत कुमार जैन प्रवक्ता श्री दिगम्बर जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, जयपुर का आद्यन्त सहयोग प्राप्त हुआ है। इनके प्रति आभार व्यक्त करती हूँ। पुत्र निरयल जैन बी.ई. इलेक्ट्रोनिक्स इन्जीनियर प्रथम वर्ष के सहयोग को भी भुलाया नहीं जा सकता है। आगे बढ़ने की प्रेरणा और आशीर्वाद से उपकृत मैं अपने पिताश्री अमरनाथ जैन, माता श्री धनवन्ती देवी जैन के प्रति श्रद्धावनत हूँ। इस कार्य में निरन्तर उत्साह दिलाने हेतु बहिन कल्पना एवं श्री अजयकुमार जी का स्नेहभाव स्मरणीय है। श्री महावीर दिगम्बर जैन बालिका माध्यमिक विद्यालय, जयपुर की प्रधानाध्यापिका श्रीमती इ पाटनी, अध्यक्ष श्री श्रेयांशकुमार गोधा, मंत्री श्री रामचरण शाह के प्रति भी हृदय से आभार प्रकट करती हूँ, जिन्होंने इस कार्य की मुझे स्वीकृति प्रदान की तथा अपने उन समस्त मित्रगणों को भी आभार देती हूँ, जिन्होंने शोध-कार्य हेतु शुभकामनायें प्रदान की हैं। कम्प्यूटर्स पर कार्य करने वाले प्रदीप लुहाड़िया, उनके सहयोगी उच्छब कुमार जैन को भी धन्यवाद। उन्होंने समय पर इस शोध-प्रबन्ध का टंकण-कार्य सम्पन्न कराया। निरन्तर सावधानी रखने के पश्चात भी इतने बड़े कार्य में त्रुटियाँ रह जाना संभव है, जिसके लिए मैं हृदय से क्षमायाचना करती हूँ। शोधकर्ती 11 मई 2004 श्रीमती कामिनी जैन
SR No.006158
Book TitleViroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamini Jain
PublisherBhagwan Rushabhdev Granthmala
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy