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________________ वीरोदय का स्वरूप 109 पार्श्वनाथ के पश्चात् यज्ञीय क्रियाकाण्डों ने मानवता को संत्रस्त कर दिया था। आलोक की धर्म-रेखा धुंधली होती जा रही थी और जीवन का अभिशाप दिनानुदिन बोझिल हो रहा था। धर्म और दर्शन के क्षेत्र में पूर्णतया अराजकता विद्यमान थी। अव्यवस्था, औद्धत्य, अहंकार, अज्ञानता और स्वैराचार ने धर्म की पावनता को खण्डित कर दिया था। वर्ग-स्वार्थ की दूषित भावनाओं ने मानवता को धूमिल कर दिया था। अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और मैत्री जैसी उदात्त भावनायें खतरे में थी। सर्वोदय का स्थान वर्गोदय ने प्राप्त कर लिया था और धर्म एक व्यापार बन गया था। उस समय के विचारकों में पूर्णकाश्यप, मक्खली गोशालक, अजितकेश कम्बल, प्रकुद्ध कात्यायन, संजय बेलट्ठिपुत्र और गौतम बुद्ध प्रमुख थे। 'दीर्घनिकाय' 'समञ्जफलसुत्त' में निग्रंथ ज्ञातृपुत्र महावीर सहित सात धर्मनायकों की चर्चा प्राप्त होती है। गुप्त-युग में भारत में धार्मिक परिस्थिति ने अनेक करवटें बदली। वेदों की अपेक्षा पुराणों को अधिक महत्त्व दिया गया। नालन्दा और पश्चिम वलभी बौद्धधर्म के नये केन्द्रों के रूप में विकसित हो रहे थे। जैनधर्म भी विकसित स्थिति में था। जैन श्रमण-संघों की व्यवस्था में भी अनेकों परिवर्तन होने लगे थे। ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में मूर्ति तथा मन्दिरों का निर्माण श्रावक का प्रधान धर्म बन गया था। मुनियों का ध्यान भी ज्ञानाराधना से हटकर मन्दिरों और मूर्तियों की देखभाल में लगने लगा था । फलतः सातवीं शताब्दी के बाद से जिनप्रतिमा, जिनालय-निर्माण और जिनपूजा के माहात्म्य पर विशेष रूप से साहित्य-निर्माण होने लगा था। पांचवीं से दसवीं शताब्दी तक जैन मनीषियों द्वारा ऐसी अनेक विशाल एवं प्रतिनिधि रचनायें लिखी गई, जो आगे की कृतियों का आधार मानी जा सकती हैं। ईसा की 11वीं और 12वीं शताब्दी में देश की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ जैनसंघ के उभय सम्प्रदायों (दिगम्बर और श्वेताम्बर के आन्तरिक संगठनों) में भी नवीन परिर्वतन हुए जिससे जैन-साहित्य के क्षेत्र में एक नूतन जागरण हुआ।
SR No.006158
Book TitleViroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamini Jain
PublisherBhagwan Rushabhdev Granthmala
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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