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अनेकान्त कुमार जैन नास्ति रूप अनेकान्त द्वारा निमित्त के स्वरूप को नहीं जाना किन्तु अपनी मिथ्या कल्पना से एकान्त मान लिया है; उसने उपादान-निमित्त की भिन्नता, स्वतंत्रता नहीं मानी किन्तु उन दोनों की एकता मानी है।" ___ कानजी स्वामी के साहित्य में जैन दर्शन के हार्द रूप वस्तु स्वातंत्र्य का स्वर स्पष्ट मुखरित है। निमित्त की स्वयं में पूर्ण स्वतंत्रता और उपादान की स्वयं में पूर्ण स्वतंत्रता का कथन निमित्त उपादान के संबंधों की सूक्ष्म समालोचना है। स्थूल दृष्टि सम्बन्धों को उपचार से ही स्वीकार कर सकते हैं। पारमार्थिक यथार्थ में नहीं। उपादान सम्बन्धी अनेकान्त
उपादान सम्बन्धी अनेकान्त को प्रतिपादित करते हुए कानजी स्वामी कहते हैं कि, 'उपादान स्व-रूप से है पर-रूप से नहीं है। इस प्रकार उपादान का आस्ति नास्ति रूप अनेकान्त स्वभाव है। उपादान के कार्य में उपादान के कार्य की आस्ति है
और उपादान कार्य में निमित्त के कार्य की नास्ति है, ऐसे अनेकान्त द्वारा प्रत्येक वस्तु का भिन्न-भिन्न स्वरूप ज्ञात होता है, तो उपादान में निमित्त क्या करे? कुछ भी नहीं कर सकता। जो ऐसा जानता है उसने उपादान को अनेकान्त स्वरूप से जाना जाता है, किन्तु 'उपादान में निमित्त कुछ भी करता है' - ऐसा जो माने उसने उपादान के अनेकान्त स्वरूप को नहीं जाना है किन्तु एकान्त स्वरूप से माना है। इसलिए उसकी मान्यता मिथ्या है। __ इस तथ्य को समझने के लिए बहुत ही धैर्य की आवश्यकता है। निमित्त उपादान में कुछ करता है अथवा नहीं? ये दोनों ही चिन्तन सापेक्ष है। स्थूल दार्शनिक दृष्टि से तो यही माना जाता है कि निमित्त की उपस्थिति अनिवार्य है। यह व्याख्या स्थूल भी है और सूक्ष्म भी, किन्तु आत्मोन्मुखी जीव सूक्ष्मातिसूक्ष्म चिन्तन कर अपने पौरुष्य को पूर्ण स्वतंत्र देख रहा है। परम शुद्ध स्वरूप निमित्त का मोहताज नहीं है। द्रव्यदृष्टि की सच्चाई यह है कि निमित्त का निषेध नहीं वरन् उसका स्वरूप समझ कर उसकी गुलामी से इन्कार कर देना। निमित्त स्वत: अनुकूल परिणमन करेंगे किन्तु तभी जब दृष्टि स्वभाव सन्मुख होगी। निमित्त की सत्ता की और उसकी स्वतंत्रता को स्वीकारना किन्तु इस स्वीकारोक्ति में उपादान की स्वतंत्रता को पराधीन कर देना संभवत: न्याय नहीं।
द्रव्य में किस समय परिणमन नहीं है? जगत् में किस समय निमित्त नहीं है। स्पष्ट है कि जगत् के प्रत्येक द्रव्य में प्रति समय परिणमन हो ही रहा है और निमित्त भी