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मूकमाटी-मीमांसा :: 153
'समग्र संसार ही / दुःख से भरपूर है, / यहाँ सुख है, पर वैषयिक और वह भी क्षणिक !/यह तो अनुभूत हुआ हमें, परन्तु / अक्षय सुख पर / विश्वास हो नहीं रहा है।” (पृ. ४८५ )
महाकवि ने अनुभव किया है कि वर्तमान युग में सबसे अधिक विश्वास की आवश्यकता है। तर्क ने इसे बेदख़ल कर दिया है । मानव मन से विश्वास निकल रहा है पर कवि के मन से विश्वास का निसर्ग नहीं हो सकता । उसमें 'नीराग' साधु की वाणी गूंज रही है ।
पुन: सन्त ने कहा :
" इस पर भी यदि / तुम्हें / श्रमण - साधना के विषय में
और / अक्षय सुख-सम्बन्ध में / विश्वास नहीं हो रहा हो / तो फिर अब
अन्तिम कुछ कहता हूँ/कि, / क्षेत्र की नहीं, / आचरण की दृष्टि से मैं जहाँ पर हूँ / वहाँ आकर देखो मुझे, / तुम्हें होगी मेरी
सही-सही पहचान / क्योंकि / ऊपर से नीचे देखने से / चक्कर आता है और/नीचे से ऊपर का अनुमान / लगभग गलत निकलता है। इसीलिए इन / शब्दों पर विश्वास लाओ, / हाँ ! हाँ !!
विश्वास को अनुभूति मिलेगी / अवश्य मिलेगी / मगर मार्ग में नहीं, मंज़िल पर।” (पृ. ४८७-४८८)
कवि 'अविनश्वर सुख' और 'अक्षय सुख' की ओर विश्वास व्यक्त करता है । यह उसकी अनुभूत सौन्दर्य की आत्मा है । यही उसका अनन्त - ज्ञान है । उसका असीम के प्रति विश्वास है ।
में
विश्व कवि रवीन्द्र ने भी अपनी पुस्तक 'Creative Unity' के प्रथम निबन्ध 'The Poet's Religion' शेली (Shelley) की अग्रलिखित पंक्तियों में व्यक्त विश्वास की ओर सापेक्ष व्याख्या के साथ हमारा ध्यान आकृष्ट किया है, विश्वास की ओर :
"Never joy illumed my brow
Unlinked with hope that thou wouldst free This world from its dark slavery;
That thou, -0 awful loveliness, -
Wouldst give whate'er these words cannot express.
This was his faith in The Infinite. It led his aspiration towards the region of freedom and perfection which was beyond the immediate and above the successful. This faith in God, this faith in the reality the ideal of perfection, has built up all that is great in the human world....when it awakens not, then our faith in money in material power, takes its place; it fights and destroys, and in a brilliant fireworks of star-memicry suddenly exhausts itself and dies in ashes and smoke.
और आगे भी ...
"Men of faith have always called us to wake up to great expectations, and the