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________________ 246 :: मूकमाटी-मीमांसा 0 O O O अन्य कवियों ने भी अनुसार नारी का एक रूप : O O 0 सो... 'स्त्री' कहलाती है।" (पृ. २०५ ) "इनकी आँखें हैं करुणा की कारिका / शत्रुता छू नहीं सकती इन्हें मिलन- सारी मित्रता / मुफ्त मिलती रहती इनसे । यही कारण है कि / इनका सार्थक नाम है 'नारी' / यानी 'न अरि' नारी / अथवा / ये आरी नहीं हैं / सोनारी !” (पृ.२०२) " अवगम' - ज्ञानज्योति लाती है, / तिमिर - तामसता मिटाकर जीवन को जागृत करती है/ 'अबला' कहलाती है वह !" (पृ. २०३) "अनागत की आशाओं से / पूरी तरह हटाकर / 'अब' यानी आगत-वर्तमान में लाती है/ अबला कहलाती है वह..!" (पृ. २०३) "बला यानी समस्या संकट है / न बला " सो अबला ।” (पृ. २०३ ) नारी महिमा का विशद विवेचन किया है । स्व. राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त आदि के "अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानीआँचल में है दूध और आँखों में पानी ।। " 'अवश - अबला' तुम? सकल बल वीरता, / विश्व की गम्भीरता, ध्रुव धीरता । बलि तुम्हारी एक बाँकी दृष्टि पर, / मर रही है, जी रही है सृष्टि भर ।" (साकेत : गुप्त ) 66 x x x "नारी तुम केवल श्रद्धा हो, / विश्वास - रजत- नग-पगतल मेंपीयूष - स्रोत - सी बहा करो / जीवन 'सुन्दर समतल में || " “भूल गये पुरुषत्व मोह में / कुछ सत्ता है नारी की । समरता ही सिद्धान्त बनी/ अधिकृत और अधिकारी की ।। " ( कामायनी : प्रसाद) x x x "नारी धरती से अम्बर तक / बीज सृजन के बोती । विश्व चुनौती बन जाये यदि / नत नयनों के मोती ॥ कह न सके कोई नारी को / आँख उठाकर अबला । हर नारी बन जाये दुर्गा - / वीणा वादिनी कमला ॥ विश्व शान्ति हो जाये क्षण में / बहे प्रेम की धारा । समता का सागर लहराये / चमके भाग्य सितारा ॥ " ( नारी धरती से अम्बर तक : जलज) भाग्य और पुरुषार्थ भौतिक युग के छलावा हैं। क़िस्मत, कुदरत और हिकमत - ये तीन शब्द ही जीवन को अपने जाल में फँसाए हैं। जो निर्धन हैं, वे भाग्य को कोसते हैं और जो प्रपंच से संग्रह करते हैं वे पुरुषार्थी कहलाते
SR No.006154
Book TitleMukmati Mimansa Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhakar Machve, Rammurti Tripathi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2007
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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