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________________ ५ दिख्या देणी ते पिण जाणी, भारमल जी रे नाम कहाणी, . दिख्या देइ सूंपणो आणी। ममता वस्त्र अनै चैलां री, वलि साताकारी खेत्रां री, इत्यादिक अनेक बोलां री। __ममता कर कर डूबा जीव अनंता।।देखो० ॥ ममता कर कर जीव अनंता, चरण गमाई नै मति भ्रांता, नरक निगोदा माहि भमंता। बलै भेषधारयां रा सोयो, एहवा चैह्न प्रतक्ष अवलोयो, __तिण सूं शिष्य प्रमुख नहीं जोयो। ममता मिटावण रो उपाय कीधो ॥देखो०।। ___ ममता मिटावण तणों सुहायो, शुद्ध चारित्र पाळण रो ताह्यो, उपाय कीधो छै सुखदायो। विनय मूल वर सखर सधीको, न्याय मार्ग निरमल रमणीको, ते चालण रो उपाय तीखो। निरपक्ष पणां थी एह कीयो छै।।देखो०॥ ८ विकळा नै मूंडै भेषधारी, भेळा करै अधिक दुखकारी, शिष्यां तणां भूखा अविचारी। एक-एक रा अवगुण बोलै, फाड़ा तोड़ो कर मोह झोले, कजीया राड़ करंता डोले। एहवा चिरत देख मर्यादा बांधी॥देखो०॥ ९ शिष साखा रो वर संतोषो, सुखै चरण पाळण रो चोखो, उपाय कीधो छै निरदोषो। संत सत्यां पिण इमज जणायो, भारमलजी री आज्ञा मांह्यो, चालणो रूड़ी रीत सवायो। शिष्य करणां ते भारमलजी रे करणा ॥देखो० ॥ १० अवरां रे चेला करवा रा, जावजीव लग त्याग उदारा। ए मर्यादा महासुखकारा। भारमलजी शिष्य करै सुहायक, बुधवंत साध कहै ओ लायक, जो प्रतीत आवै सुखदायक। एहवो भारमलजी नै चेलो करणो॥देखो० ॥ ३४ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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