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________________ १२ सतियां ! कदा कारण पड़ियां ना लिखै, और आर्यां नै कहिणो जोय। सतियां ! सायद कर नै वेगो लिखणो पछै, लिख्या विना नहीं रहिणो कोय॥ १३ सतियां ! आय गुरां रे आगलै, मूंढा सूं न कहिणो विण आण। सतियां ! अजोग भाषा नहीं बोलणी, माहोमां खोटी वाण। १४ सतियां ! कोई साधु अनै साधवियां तणां, ओगुण काढे तो सुणवा रा त्याग। सतियां ! इतरो कहिणो तेहनै, 'स्वामी जी नै कहिजो' सुद्ध भाग, १५ सतियां ! जिण रा परिणाम टोळा मझे, होवे रहिण तणां निकलंक। सतियां ! ते गण माहै रहिजो सही, पिण मन में न राखणो बंक। सतियां ! (पिण) टोळा बारै हुवां पछै, संत-सत्यां रा जाण। सतियां ! अनंत सिद्धां री साख सूं, अवगुण बोलण रा पचखांण।। १७ सतियां ! कोई टोळा बारै नीकली तणी, मानै उणा लखणो ही वाय। सतियां ! कै मानै भेषधारी (भागल) धर्म रा, पिण उत्तम जीव तो मांनै नाय॥ सतियां ! बलि कोई याद आवै कदा, ते पिण लिखणो लेख। सतियां ! बलै करड़ी-करड़ी मर्याद नै, ऐ तो गणपति बांधै बिशेख॥ __ सतियां ! अनंत सिद्धां ही साख सूं, त्यां में पिण नटवा रा त्याग। सतियां ! आरै लैजो परिणाम कै तिका, नहीं सरमासरमी रो माग। सतियां ! आज पछै किण ही आर्यों रे, अजोगाई कीधी जो काय। सतियां ! प्राछित तो देणो तसु रे, हेलणी चिंहु तीर्थ माय॥ सतियां ! बलै च्यार तीर्थ माहै निंदणी रे, पछै कहोला म्हांनै भांडे जाण। सतियां ! करै फितूरो मांहरो रे, तिण सूं पहिला रहिजो सावधान॥ सतियां ! सावधान जो ना रही रे, तो भंडी दिसोला लोकां मांय। सतियां ! पछै कहोला म्हानै कह्यो नहीं रे, तिण सूं पहिला दियो है जताय॥ सतियां ! लिखत ऋष भीखन तणों रे, बावनै संवत् अठार। सतियां ! सतियां फागुण सुदी चवदश दिनै रै, ए स्वाम वचन श्रीकार। २४ सतियां ! तीजी ढाळ बावना लिखत नी रे, जोड़ी उगणीसै चवदै उदार। सतियां ! चौथा कृष्ण वैशाख में रे, जय-जश गणपति संपति सार॥ १.साक्ष्य। २. तैयार ३० तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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