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यां री अंस मातर संका पडै ज्यूं, आसता उतरै ज्यूं, बोलण रा त्याग
छै।
१० टोळा मां सुं फार नै साथै ले जावण रा त्याग छ। उ आवे तो ही ले जावण रा त्याग छै।
११ टोळा माहै थी बारै नीकळ्या पिण ओगुण बोलण रा त्याग छै। माहोमां मन फटै ज्यूं बोलण रा त्याग छै।
१२ जे कोइ आचार रो, सरधा रो, सूत्तर रो अथवा कल्परा बोल री समझ न परै तो गुर तथा भणणहार साध कहै ते मान लेणो नहीं तो केवळी नै भळावणो। पिण और साधां रे संका घाल नै मन भांगणो नही।
टोळा माहै पिण साधां रा मन भांग नै आप आप रे जिलै करै ते तो महाभारी कर्मो जाणवो। विसवासघाती जाणवो। इसरी घात-पावड़ी करै ते तो अनंत संसार री साइ छै। इण मरजाद प्रमाणे चालणी नावै, तिण नै संलेखणा मंडणो सिरै छै।
धनै अणगार तो नव मास माहै आत्मा रो किळ्याण कीधो, ज्यूं इण नै पिण आत्मा रो सुधारो करणो। पिण अप्रतीतकारियो काम करणो न छै, रोगिया विचै तो सभाव रा अजोग नै माहौ राख्यो भूण्डो छ। चेतावनी
ए पचखांण पाळण रा परिणाम हुवै ते आरे हुयजो। विनय मारग चालण रा परिणाम हुवै, गुरु नै रीझावणा हुवै, साधपणो पाळण रा परिणाम हुवै, ते आरै हुयजो। ठागा सूं टोळा माहै रहणो न छै जिण रा परिणाम चोखो हुवै ते आरै हुयजो
आगै साधां रे समचै आचार री मर्यादा बांधी ते कबूल छै। बलै कोइ आचार्य मर्यादा बाधै तो याद आवै ते पिण कबूल छै। लिखतू ऋष भीखन रो छै। संवत् १८४५ रा जेठ सुदि १. १ ए मरजादा ऋष भारमल हरख सूं अंगीकार कीधी २ मर्यादा ऋष सखराम अंगीकार कीधी ३ ए मर्यादा ऋष अखेराम अंगीकार कीधी ४ ए मर्यादा ऋष सामजी अंगीकार कीधी। ५ ए मर्यादा ऋष खेतसी अंगीकार कीधी ६ ए मर्यादा ऋष राम जी अंगीकार कीधी। ७ ए मर्यादा ऋष नान जी अंगीकार कीधी। ८ ए मर्यादा ऋष नेमे अंगीकार कीधी। ९ ए मर्यादा ऋष वेणे अंगीकार कीधी छै।
४४२ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था