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११.
जिण आय साथै मेल्या तिण आर्य्यां भैळी रहै, अथवा मांहिमांहि सेखे काळ भेळी रहै, अथवा चोमासे भेळी रहै, त्यांरा दोष है तो साधां सूं भेळाव देणो, न कहै तो उतरो ही प्रायछित उण नै छै । पछै घणां दिन आडा घाल नै कहै तो साचो है तो झूठ है तो उवा जाणै, कै केवली जाणे, पिण छदमस्थ रा व्यवहार में तो घणां दिन री बात उदेरे राग द्वेष रे वस, आप रै स्वार्थ न उदीरे, स्वार्थ न पूगां उदीरे तिण री प्रतीत मानणी नहीं आवै । ग्रहस्थां मांहै आमना जणाय नै मांहोमांहि एक-एक री आसता तर, ति में तो अवगुण घणाइज छै । बलै फतूजी नै मांहै लीधा तिको लिखत सगळी आर्य्यां रे कबूल छै।
बलै अनेक बोलां री करली मर्यादा बांधै ते पिण कबूल छै। ना कहिण रा त्याग छै। हिवै कर्म जोगे किण सूं इ आचार गोचार न पळै, मांहोमां स्वभाव न मिलै, तिण नै साध टोळा बारे काढै अथवा क्रोध वस टोळा थी अळगी परै तका तो कर्म वस अनेक झूठ बोलै कूड़ा कूड़ा आळ दे अथवा के इ भेषधारयां मांहै जाए तिण तो अनंत संसार औरै कीधो ते तो अनेक विविध प्रकार रो झूठ बोलैइज, काइ नही पिण बोलै,एहवी भेषभंडां री बात भेषधारी भारीकर्मां मानै, पिण उत्तम जीव न मानै । टोळा सूं छूट-न्यारी हुवां री बात , त्यां खीजै, त्यां नै चोर कहीजे अनेक-अनेक आळ दे, सूंस करण नै त्यारी नै हुवै, तो ही उत्तम जीव न माने इत्यादिक आंगुण घणा ज छै । एतावता टोळा मांहि सूं पिण टळ्यां पछै इ टोळा रा आंगुण बोलण रा अनंता सिद्धां री साख सूं पचखांण छै ।
ए लिखत सगळी आर्य्यं नै बचाय नैं, पहिला कहिवाय नै, मरजादा बांधी छै । ए लिखत प्रमाण सगळी आर्य्यां नैं चालणो, अनंता सिद्धा री साख सूं सगळा रे पचखांण छै । जिण रा परिणाम चोखा हुवै लिखत प्रमाणै चालै ते मतो घालजो। सरमासरमी रो काम छै नहीं । जावजीव रो काम छै ।
संवत् १८३४ जेठ सुदी ९.
१.
४.
लिखतू सुजाण २. लिखतू मटु ३ लिखतू कुसाला लिखतू सूंभा ५. लिखतू जीउ ६. लिखतू नंदू लिखतू गुमाना ८. लिखतू फतु ९. लिखतू अखु १०. लिखतू अजबा ११. लिखतू चंदू
७.
परिशिष्ट : लिखता री जोड़: ४३९