________________
सं० १८३४ रो लिखत
(साधवियां रो) २. (पृष्ठ ६ से संबंधित)
आर्यां सर्व रे एक लिखत कीधो
१. माहां मांहि आर्यां आर्यां नै तूंकारो दे तिण नै पांच दिन पांचू विगै रा याग छै।
२. जितरा तूंकारा कादै जितरा पांच-पांच दिन रा विगै रा त्याग।
३. तूं झूठा बोली छै, एहवा वचन कादै जितरा पांच पांच दिन विगै रा त्याग।
४. प्रायछित आयो तिण रो मोसो बोले, जितरा पांच-पांच दिन रा त्याग।
५. ग्रहस्थ आगै टोळा रा साध आर्यां री निंद्या करै तिण नैं घणी अजोग जाणणी। तिण नै एक मास पांचू विगै रा त्याग। जितरी वार करै जितरा मास पांचू विगैरा त्याग।
६. आर्यां री मांहो मांहि री बातां कराय नै उणरो परतो वचन उण कनै कहै, उणरो मन भागै जिसो कहि नै, मन भागै तो १५ दिन पांचू विगै रा त्याग।
७. माहोमांहि कहै तूं सूंसां री भागल छै, एहवो कहै तिण रे १५ दिन विगै रा त्याग छै। जितरी वार कहै जितरा १५ दिनां रा त्याग छै।
आंसू कालै जितरी वार १० दिन विगै रा त्याग छै, कै पनरे दिन मांहे बेलो करणो। इत्यादिक करलो काठो वचन कहै तिण नै यथा जोग प्रायछित छै। स्पष्टीकरण
ए विगै रा त्याग छै ते उण री इच्छा आवै जद साधां सूं भेळा हुवां पहिली टाळणा। जो नहीं टाळे तो बीजी आर्या यूं कहिण पावै नही तूं टालइज। साधां नैं कहि देणो। साधां री इच्छा आवै तो द्रव्य क्षेत्र काळ भाव जाण नै और दण्ड देसी, अनै साधां री इच्छा आवसी तो विगै रो त्याग घणो करावसी।
८. बलै आर्यां रे माहोमांहि साध-साधवियां नै न कल्पै न शोभे तका लोकां नै अणगमती लागै उण री जातादिक रोखंचणो काढणो, जिण भाषा रो पिण साधां री इच्छा आवै जितरा दिन विगै रा त्याग देवै ते कबूल करणो छै।
९. जिण आ· नै और आ· साथै मेल्या ना न कहिणो। साथै जाणो। न जावै तो पांचू विगै खावा रा त्याग, न जाय जितरा दिन। बलै और प्रायछित जठा बारै।
१०. साधां रा मेलीयां बिना आर्यां ओर री और साथै जावै तो जितरा दिन रहै जितरा पांचू विगै रा त्याग, बलै और भारी प्रायछित जठा बारै।
४३८ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था