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________________ विराजत पांण । राखणो नांहि || ३९४ पोथी पांना संत नै संत सत्यां कन्है राखण ३९५ हाकम नी परै तो गुरु कहै जठै ३९६ चौमासो उतरियां ना छै सकज्जा । भाव न बंधाई || संत सती इम जेर । शेष काळ सुविमास ॥ पछै तेह, वैगा दर्शण करै जेह | सकज्जा ।। ३९७ ए तो माल छै सहु किण रो | आसो ॥ तेम । तिण कारण पोथी पांना मुनि अज्जा ले लीया सर्व गणपति रो, और नहीं छै मुरजी आवै तो म्हेलै चउमासो, मुरजी विण न फळै मांहि ३९८ भरती पडिया रहे एम, जोर न लागै Mast बहु भणियो- गुणियो होय, तिण नै छोटा लारै म्हेलै सोय ॥ ३९९ ते पिण मुरजी हुवै तो म्हेलीजै, मुरजी विण कार्य न सीझै । कदा सिंघाड करी विचरावै, तो बंधवस्ती बोलण री करावै ॥ पाछी हाजरी याद इती किम रहेवै । इम बंधवस्ती सूं गण मांही, रह्या बारै वर्ष तांइ ॥ ४०१ घणा दोहरा दिन काढ्या तांही, कोइ संढावालो' मिलियो नांही । एकलो टळवा रो नहीं देख्यो टांण, तिण सूं इम दिन काढ्या जाण ॥ ४०२ बीजूं इती बंधवस्ती मांय, कवण रहै दुख पाय । लेवे, ४०० बोलै तो श्रावक कह्या समाचार ॥ न आवै ताहि । कहै क्यूं अळीयारे ॥ तीजा अविनीत तणा ए धार, एक ४०३ इण विधि संकडाई रै मांहि, रहिणी तिण कारण न्यारा निकळिया, तो दोष ४०४ दूजो अविनीत काती में ताय, साधा कनै कही इम वाय । छमास उपरंत हुआ इण नै, तिण सूं दीक्षा विण न लेणो तिण नै । ४०५ दीक्षा विण मांहि लेसो अन्यावो, थे पिण ठागा सूं काम चलावो । बलि गणपति पास जोधाणै आय, एक गृहस्थ बोल्यो इम वाय ॥ ४०६ दूजा अविनीत तणों ले नाम, मो पासै कहिवाया तां । थे जोधाणै जावो स्वामीजी नै कहिजो, दीक्षा विण यांनै मांहि म लीजो | ४०७ छमास थी अधिक थया है इण नै, तिण सूं दीक्षा विण न लेणो तिण नै । त्यांरै जूं न्हाखवा री श्रद्धा छै तांम, तिण सूं सम्यक्त्व रो काठो कांम ॥ विधि पाट मोनै कह्यो त्यां जाण, दोनूं भायां चिंतव्यो मन मांहि भोमियापणो अज्जा, सहु गणपति नांही, तिण सूं ममत राखण हेर, रहै करै चउमास, बले ३९३ इण १. साथी । २. अवसर । ४०० तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था ३. झूठा
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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