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१२ सतगुर तो इण बात मांहि नहीं, कदाचित अहिलाणे ।
एकण नै झूठो जाणे, एकण नै साचो जाणे॥ १३ ते पिण निश्चै नहीं वारता, ते किण विध दंड देवै।
विगर आलोया दोयां री, निश्चै बतका किम कहिवै॥ १४ पाछै तो सतगुर नै बुध सूं, द्रव्य खेत्र काळ भावो।
जाणी नै दोनूं संतां रो, करणोइज छै न्यावो॥ १५ पिण उण नै तो एक दोष थी, दोय दोष दिल धारी।
भेळा नहीं करणा छै तिण रा, ए वर न्याय विचारी।। १६ घणां दोष भेळा कर आसी, तो उ तो हाथां सूं।
झूठो पड़सी सही जाणजो, साचो हुवै क्यांतूं। १७ पछै तो केवळ ज्ञानी जाणे, छद्मस्थ तणे ववहारो।
भेळा दोष करै तिण मांहि, छै अवगुण नो भंडारो॥ १८ ए लिखत ऋष भीखन रो, संवत् अष्टादश इकतालो।
चेत विद तेरस तिथि नीकी, निर्मल न्याय निहालो ।। १९ लिखतू ऋष हरनाथ उपरलो-लिख्यो सही ते जाणो।
लिखतू ऋष भारमल उपर-लिख्यो सही प्रमाणो ।। २० लिखतू अखेराम उपरलो-लिख्यो सही ते वारू ।
लिखतू ऋष सामजी उपर-लिखियो सही उदारू।। लिखतू ऋष खेतसी ऊपर-लिख्यो सही ते जाचो ।
लिखतू ऋष रामजी ऊपर-लिख्यो सहीज साचो॥ २२. लिखतू ऋष सिंघजी ऊपर-लिखियो सही सुजाण।
लिखतू ऋष नानक जी ऊपर-लिखियो सही प्रमाण॥ २३ संवत् उगणीसै नै चवदे, विद तेरस फागुण मासो।
गणपति जयजश संपति जोड़ी, बीदासर सुख वासो।।
१.चिन्हों से।
लिखतां री जोड़ : ढा०३ : १३