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१८ धोवण दालादि तणों रे, कंदोइ नो तिणवार।
रांगणादिक' ने कारखाना रो, ल्यावे वारूंवार ।। १९ मुंजादिक नो बचियो हुवै, 'कोरी सलादिक' जाणो।
गार गोबर नो पछै नीपनो, बार-बार जइ ल्याणो।। २० बले गांवड़िया गांव में, आथण निपजतो जाणै।
गाढा-गाढ' कारण तिरखा रो, दूजी बार जइ आणै।। २१ कारण पड़ियां रोगिया, नितपिंड लेवै आहारो।
जीतववहार वीर वच देखी, अंतर भर्म निवारो।। २२ विषम जायगां उलंघता, नितपिंड समय सुजाणो ।
पिण नहि छै ए सहज विहार में, गाढा-गाढ पिछाणो॥ "आधाकर्मी ने मोल रो लीधो, नहीं वहरणो 'करड़े काम। निरदोषण में नितपिंड आहार, कारण परया लेणो कह्यो ताम॥ आधाकर्मी ने मोल रो लीधो, ओ तो निश्चे उघाडो असुध।
नितपिंड ढीला परता जांणी बरज्या, आ तीथंकरांनी बुध"॥ २३ सहजे और कारण गयो, गृहस्थ रे घर सोय।
गृहस्थ अणचिंत्यो धामें तो, ते पिण लेणो जोय।। २४ साधु गयां पहिली नीपनों, ते पिण पछै लेवाय।
दाल खाखरा आदि मांग ले, नहीं लोळपणों मन मांय ।। २५ मुनि गृहस्थ रे घर गयो, बहिरावता ते भूलो।
पाछो आवता ते गृहस्थ बोलावै, ते पिण लेणौ सूलो॥ २६ वस्त्रादिक धोवण भणी, दिशा काज कुण चेहरे।
दंत-मसूदादि कारण उदक, तमाखू पिण नति वेहरे॥ २७ सुखे समाधे एक धणी नों, अन्यक्षेत्रे नित्य आहारो।
जुदो क्षेत्र चूला नो अथवा, कहिए मोड़ा२ बारो॥ २८ इत्यादिक अनेक बोल सुध, जाणी आचार्य थापै।
जीत ववहार तास जिन आणा, बुद्धिवंत नाहिं उथापै॥
१. रंग आदि के कारखाने। २. आटियों को धोने के लिए बनाया हुआ। ३. छोटे गांव ४. सायंकाल ५. विशेष रोगादि की स्थिति ६. तृषा
७. कठिन परिस्थिति में ८. प्रत्यक्ष ९. शिथिल १०. अच्छी तरह ११.रोके १२. दरवाजा।
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