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________________ १९ २० २१ सूंसकरण नै त्यांरी होवे कर्म कुमत रेखो । तो ही उत्तम तो नहीं माने, इत्यादिक घणां छै अवगुण जग निंदे ज्यां ने। इसा तो काम नहीं करणा, सुगुरु तावत गण एगुणखाणो, एथी टल्या पछै अवगुण बोलण रा पचखाणो । अनंता सिद्ध साख त्यागो, १० आण ए लिखत सहु आरजियां नै वचायो सुध मागो । प्रथम तसु पासै कहिवाई, मर्यादा बांधी ए सखरी सुगुणा सुखदाई | अधिक हियै हरष थकी धरणा, सुगुरु लिख्या लिखत रै परमाणे, सघली आय नै चालणो शिर धारी आणे । अनंता सिद्धां री साखे, सघला रे पचखांण अछै तन-मन सूं अभिलाखे । जरा शुद्ध परिणामो, मतो घालज्यो लिखत प्रमाणे जो चालो तामो । सरमासरमी रो नही छै कामो, जावजीव से काम अछै आणा ए अभिरामो । संवत् अठारै चोती सै, जेठ सुधी नवमी तिथि नीकी वच विसवावीसै । उमंग धर नै ए आदरणा, सुगुरु आण लिखतू सुजाण तज दंभा, लिखतू मटू लिखतू कुसला लिखतू कसूंभा । लिखतू जीउ लिखतू नंदू, मर्याद० ॥ आण मर्याद० ॥ मर्याद० ॥ लिखतू गुमाना लिखतू फतू नै लिखतू अखू । आण मर्याद० ॥ लिखतू अजबा लिखतू चंदू, आप आप तणा कर सूं लिखिया अक्षर सुखकंदू । लिखत भिक्खू कर नो देखी, जोड़ करी है जय-जश गणपति संपति हित पेखी। विमल चित सूं हिवड़ै धरणा, सुगुरु २२ वर्ष चउदे नै उगणीसै, फागुण विद ग्यारस मंगलवर स्वाम वचनामृत सुविसाली, पवर जोड़ जय गणि वृद्धिकारक परमप्रीत पाली। थया बीदासर में थाट, इकतालीस समण सौ अजा नित्य प्रति गह घाट । जोड़ी गण ईसै । तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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