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________________ २८ जे कोई याद आवै बलै, ते पिण लिखणो तास। ते पिण सर्व कबूल ही, करणो आण हुलास।। २९ सर्व साधां रा परिणाम जोयनै, रजाबंध कर वाध। यां कनां सूं पिण कहिवाय नै, बांधी 'ए' मरजाद। ३० परिणाम जिण रा माहिला, चोखा है जो ताम। ते मतो' इण माहै घालज्यो, सरमा-सरमी रो नहीं काम ।। ३१ मूंढै और मन में और ही, इम तो साधु नै करवो छै 'नाय। बलि इण लिखत में खूचणो, काढणों नहीं छै काय ।। ३२ पछै कोई और रो और ही, बोलणो नहीं छै ताम। अनंता सिद्धां री साख सूं, ए पचखांण अमाम ।। ३३ संवत अठारै बत्तीस में, मृगसर विद सातम सार। लिखतु ए ऋष भिक्खन तणों, हेठे साधां रा अक्षर उदार। ३४ साख एक थिरपाल नी, लिखतू बले वीरभाण । ऊपर लिखियो ते सही, इम हिज हरनाथ पिछाण।। ३५ इम ही सुखराम लिख्यो सही, लिखतू तिलोकचंद जांण। ऊपर लिखियो ते सही, लिखतू इम ही चंद्रभाण ।। ३६ अखेराम अणदा तणां, इमहिज अक्षर जोय। आप-आप रा हाथ सूं, अक्षर लिखिया सोय। ३७ वर्ष बत्तीसे स्वाम जी, बांधी ए मरजाद। जोड़ करी मैं तेहनी, जयजश हरष समाध।। ३८ अक्षर भिक्खू स्वाम ना, ए लिखत लिख्यो निज हाथ। जोड़ करी ते देखनै, गणपति जय साख्यात। ३९ संवत् उगणीसै ग्यारे समे, जेठ शुकल बुध ताय। भिक्षु भारीमाल ऋषराय थी, जयजश हरष सवाय॥ १.साक्षी। लिखतां री जोड़ : ढा०१:५
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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