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________________ १० सूंस दिराय अवगुण कहै, काढण न दे निकाळ | एहवा अविनीत अजोग नै, बुद्धिवंत जांण देसी टाळ || ११ कोइ अवनीत हुवै साधु-साधवी, तिण सूं मिले मूढ़ जाय । उ अहुंता अवगुण है तिके, ते धीर राखे मन मांहि ॥ १२ ते गुरु कनै आय कहै नहीं, अवनीत रो नहीं करै उघाड़ । बलै अवगुण बोलण करणै, तिण कियो छै जन्म खुवार || उसाच मांने अवनीत रो, बलै करै तिण री पखपात । सुध साधां री निंद्या करतो फिरै, तिण रे न मिटयो मूळ मिथ्यात || अवनीत नरमांइ करै उण कने, बलै बोले मीठा-मीठा वेण । करै कुसामदी तेहनीं, रोवे घणो भर-भर नेण ॥ १३ २७० १४ १७ 1 १५ पछै अवगुण बोले उण कनै गुर तणा, केइ एहवा छै दुष्ट अवनीत। गरीब होय आपो छिपाय दै, तिण री मूर्ख मांने परतीत । १६. जो साच मांनै अवनीत रो, घणां री न मांनै परतीत । पखपात करै अवनीत री, ते चिहुं गति होसी फजीत ॥ ए राग नै धेष नो घालियो, कर रह्यो कूड़ी पखपात । एहवा अजोग श्रावक तणी, कोइ मूर्ख मानसी बात | इम इहां पण अवनीत साध श्रावक नै घणो ओळखायो । निंद्या करै तेह नै मतिहीण ह्यो । ति की संगति सर्वथा न करणी । ते भणी पैंताळीसा रा लिखत में कह्यो- टोळा माह कदाच कर्म जोगे टोळा बारे पड़े तो टोळा रा साध-साधवियां रा अंसमात्र अवर्णवाद बोलण नां त्याग छै। यांरी अंसमात्र संका पड़ै, आसता उतरे ज्यूं बोलण रा त्याग छै। टोळा सूं फार नै साथे ले जावण रा त्याग छै। टोळा मांहे नै बारे नीकळ्यां पिण ओगुण बोलण रा त्याग छै। मांहोमां न फटे ज्यूं बोलण नां त्याग छै । इम पैंताळीसा रा लिखत में कह्यो । ते भणी सासण री गुणोत्कीर्तन सूप बात-करणी । भागहीण हुवै सो उतरती बात करै, तथा भागहीण सुणे तथा सुणी आचार्य नै न है ते पिण भागहीण । तिण नै तीर्थंकर नो चोर कहणो हरामखोर कहणो । तीन धिकार देणी । आयरिए आराहेइ, समणे यावि तारिसो। गिहत्था विणं पूयंति, जेण जाणंति तारिसं ॥ आयरिए नाराहेइ, समणे यावि तारिसो। गिहत्था वि णं गरहंति, जेण जाणंति तारिसं ॥ इति 'दशवैकालिक में कह्यो - ते आज्ञा मर्यादा आराध्यां इह भव परभवे सुख कल्यांण हुवै। ए हाजरी रची संवत् १९१० जेठ विद १४ वार वृहस्पति बगतगढ़ मध्यै । १. दसवे आलियं, ५/२/४५,४० तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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