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"-आर्यां मेणांजी धनांजी फूलांजी गुमानांजी गोगूदा माहे रहे तो वैसाख सुध १५ पछै चोपड़ी रोटी ने जाबक सूंखड़ी वैहरण रा त्याग छै। फूलांजी गुमानांजी रे घी रो आगार छै। घी वैहरणो, पिण चोपड़ी रोटी न वैहरणी मारगियां रै घरे आठ दिन टाळ नै नवमे दिन जाणो। एक रोटी तथा एक रोटी रो बारदानो वहरणो, पिण इधको न वैहरणो। इम मारगियां रे घरे च्यार पातरां टाळ जांणो। कदा पाणी री भीड़ पड़े तो दूजे पातरे जाणो। पाणी धोवण ल्यावणो। पिण बीजो कांई न ल्यावणो। फूलांजी गुमानांजी कहे जठे गोचरी जांणो। ए जाए जिण बात रो लिगार मातर जणावणो नहीं। 'यां री दाय आवे जठे जाये' यूं कहणो नहीं। अंस मातर इण बात रो केतब करणो नहीं। ओळभो देणो नहीं, यां री दाय आवसी जठै गोचरी जासी। अंसमात्र कुलक भाव आणणां नहीं। अनुक्रमे गोचरी करणी। रोटी रा देवाळ रो घर छोड़णो नहीं। आंखिया अबल हुवां पछै साधां सूं भेळा हुवां पछै साध आज्ञा देवे जद चोपड़ी रोटी नै सूखड़ी रो आगार छै। आगनां दिया विना चोपड़ी रोटी नैं सूंखड़ी वैहरण रा त्याग छै। कदा मेणांजी गोगूंदे वेस रहै तो फूलांजी गुमानांजी रै सूखड़ी रो आगार छै। गोचरी फूलांजी गुमानांजी रै दाय आवै जरे ऊठसी। ग्रहस्थ नै जणावणो नहीं। ग्रहस्थ सांभळतां यूं कहणो नहीं-म्हारे पारणो आंण दो। ग्रहस्थ कहे-आं ने पारणो आंण दो जद मेणांजी नै यू कहणो-थे किण लेखे कहो छो साहमी म्हारी संका पड़े, थे भला होवो तो म्हारा पारणा री थे कदे इ बात कीजो मती। मां साधां री साध जांणा। थे क्यां ने विचे पड़ो छो।
गोगूदा सूं विहार कर नै नाथदुवारे आवणो नही। काकड़ोली राजनगर, केलवे, लाहवे, आमेट, आवणो नही। साधां कनै आवे तो ओर क्षेत्रों में वेह ने आवणो। कदा मणांजी गोगंदे पर रहे तो आया ने किण ही गांम कपडा नै मेलणी नही। महीं मोटो आवे जिसो गोगुंदा मांहे लेणो नै भोगवणो। मेणांजी धनांजी रै रागाधेखो घणो देखो,कलेस कदागरो घणो देखो, माहोमांहि कजिया करता देखो, यां रै साधपणो नीपजतो न देखो, थां रै पिण कर्म बंधता देखो, साधपणो नीपजतो न देखो, फूलांजी नै गुमांना यां दोयां सूं आहारपाणी कीजो मती। थे दोनूं जणी उरी आवजो। चोमासो हुवै तो चोमासो उतस्यां उरी आयजो। पिण यां रा कजिया में थारो साधपणो खोइजो मती। यां में भारी दोष थकां आहारपाणी भेळो कीजो मती। भेळो कियो तो थां ने भारी प्राछित आवसी। पछै थारी थे जांणो। दोष लगावे ते भाया ने जणावजो। जितरी बात हुवै दोष री ते सगळी भाया नै जणायवो कीजो। ज्यूं यां नै पिण न्याइ अन्याइ री खबर पहै। ज्यूं हिवै अंसमात्र बात भायां बायां सूं छांनी राखजो मती। बात तो बिगर चुकी, हिवै क्यांने छांनी राखो। मेणांजी गोगूदे रह्यां घणो फितूरो हुँतो दीसै छै, तिण सूं जिण मांहे दोष थोड़ो ही १. श्रावकों। २. सामग्री। ३. कमी।
चौदहवीं हाजरी : २५७