SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 260
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८ जो उ शिष हुवे सुवनीत, गुर री आज्ञा पाले रूड़ी रीत । ते गुर रो वचन किण विध लोपे, मरणां सांहमो तुरत पग रोपे।। एहवा वनीत रा गुण कह्या। ते विनीत कीधा उपगार रो जांण तिण ने वखाण्यो। तिण सूं विनीत ते गुर री आज्ञा अखण्ड पाळे । आखी उमर मुरजी प्रमाणे प्रवर्ते। गुर बांधी मर्यादा सर्व चोखीपाळे। तथा पेंताळीसा रा लिखत में कयो-"टोळा मांहे कदाच कर्म जोगे टोळा बारे पड़े तो टोळा रा साधु-साधवियां रा अंसमात्र अवर्णवाद बोलण रा त्याग छै। यां री अंसमात्र संका पड़े आसता उतरे ज्यूं बोलण रा त्याग छै। टोळा मांहे सूं फारने साथे ले जावा रा त्याग छै। उ आवे तो ही ले जावा रा त्याग छै। टोळा मांहे ने बारे नीकळ्यां पिण ओगुण बोलण रा त्याग छै। माहो मां मन फटें ज्यूं बोलण रा त्याग छै।'' इम पेंताळीसा रा लिखत में कहयो। ते भणी सासण री गुणोत्कीर्तन सूप बात करणी। भागहीण हुवे सो उतरती बात करे, तथा भागहीण सुणे, तथा सुणी आचार्य ने न कहे ते पिण भाग-हीण। तिण ने तीर्थंकर नो चोर कहणो, हरामखोर कहणो, तीन धिकार देणी। आयरिए आराहेइ, समणे यावि तारिसो। गिहत्था वि णं पूयंति, जेण जाणंति तारिसं।। आयरिए नाराहेइ, समणे यावि तारिसो। गिहत्था वि णं गरहंति, जेण जाणंति तारिसं।। इति 'दशवैकालिक में कह्यो ते मर्यादा आज्ञा सुद्ध आराध्यां इहभव परभव में सुख किल्याण हुवे। एह हाजरी रची, संवत् १९१० रा जेष्ठ विध ५ वार बुध बखतगढ़ मध्ये देश मालवा में। १. दसवेआलियं, ५/२१४५,४० २३४ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy