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________________ केहणो, सायद करने पछै पिण बेगो लिखणो, पिण लिख्यां विना रेहणों नहीं। किण ही आर्यां आज पछै अजोगाई कीधी तो प्राछित तो देणो, पिण उणने च्यार तीर्थ में हेलणी निंदणी पड़सी। पछै कहोला म्हांने भांडे छै, म्हारो फितूरो करै छै, तिणसूं पेहलाइज सावचेत रहीजो, सावधान न रह्या तो लोकां में मूंडा दीसोला। पछै कहोला म्हांनै कह्यो नहीं। ए बावना रा लिखत में भीखणजी स्वामी आर्या रै मर्यादा बांधी तिण में कयो तिण प्रमाणे प्रवर्त्तणो। ए मर्यादा लोपणी नहीं। तथा चोतीसा रा लिखत कह्यो छै-"ग्रहस्थ आगे टोळा रा साधु-साध्वियां री निंदा करै तिण ने तो घणी अजोग जाणणी। तिण ने एक मास पांच विगैरा त्याग एहवो कह्यो। मर्यादा लोपणी नहीं आज्ञा बिना प्रवर्ते तिणनै भीखणजी स्वामी पचासा रा लिखत में एहवो कयो- “साधां रे मर्यादा बांधी छै तिण प्रमाणे सगळां रै त्याग छै। उवा मर्यादा पिण उलंघवा रा त्याग । जो किण ही साधु मर्यादा उल्लंघवो कीधौ अथवा आगन्या माहें नहीं चलिया, अथवा किण नै अथिर परणामी देख्यो, अथवा टोळा मांही टिकतो न देख्यो तो गृहस्थ नै जणावण रा भाव छै। साधु-साधव्या ने जणावण रा भाव छै। पछै कहोला म्हारी लोकां मांहे आसता उतारी तिण सूं घणा सावधान पणै चालजो। एक-एक ने चूक पड्यां तुरत कहीजो। म्हां तांई कजीयो आणजो मती। उठे रो उठे निवेड़जों ए मर्यादा पचासा रा लिखत में आज्ञा उपरंत तथा मर्यादा उपरंत प्रवर्ते तिणनै इण रीते निखेध्यो छै, ते भणी आज्ञा मर्यादा में तीखो प्रवर्त्तणों। सर्व साधु-साधव्यां री नै शासण री वारता तीखी करणी, ऊतरती न करणी। पैंताळीसा रा लिखत में अंसमात्र अवगुण बोलण रा त्याग चाल्या छै ते भणी ऊतरती बात करै तथा मन सहित सुणै तथा सुणी आचार्य नै न कहै तिणनै तीर्थंकर नो चौर कहिणो, हरामखोर कहणो। "आयरिए आराहेइ, समणे आवि तारिसो। गिहत्था वि णं पूयंती, जेण जाणंति तारिसं ।। आयरिए नाराहेइ, समणे यावि तारिसो। गिहत्था वि णं गरहंति, जेण जाणंति तारिसं।। दशकालिक' में कह्यो। ते मर्यादा आज्ञा सुध आराध्यां इहभव परभव सुख कल्याण होवै। ए छोटी हाजरी नी स्थापना लिखी संवत् १९१० वस्त पंचमी बृहस्पतिवार उदैपुर मध्यै। १. दसवेआलियं ५।२।४५,४० २०० तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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