SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ढाळ १२ 'थे तो चतुर सीखो सुध चरचा रे, थे तो परहर देवो परचा | ए तो परचा आछा नांही रे, राखो समझ हिया रे मांही ॥ परचो राखै ते नर भोळा, त्यांरो जीव करै डाळाडोळा । परचा सूं ओळभो पावै, त्यांरी क्यां हीं शोभा नहि थावे ॥ परचा वाळो जो क्षेत्र भळावै, तो उ मन रळियायत परचा वाळे क्षैत्र नहीं मेलै, तो उ दाव कपट पछै आमण-दुमण थको जावै, पिण मन में बहू थावै । रात दिवस जाए हींजरतां परचा वाला रो ध्यानज धरतां ॥ एहवा परचा रा फळ जिण रै परचा रो पड़ियो जाणी, तिण नै स्वभावो, छूटण हिया मांहि, तो उ तुरत परहरै उत्तम प्राणी । रो कठिन उपावो ॥ जबर समझ हुवै देवै छिटकाइ । तिण रे पीत औरां सूं पूरी, गणपति सूं पीत अधूरी ॥ परचा वाळा री भावना भावै, जाणै दरसण करवा कद आवै । आयां देख हियो अति हरखै, जाणै जौहरी नग नैं परखै ॥ परचा वाळा स्हामो नहीं जोवै, वळे नयण वयण नही मोवै । परचो छूटण रो एह उपायो, जय गणपति एम जणायो ॥ उगणीस वर्ष उगणीसै, मृगसर विद सातम दिवसे । प्रथम- मर्यादा दिन सुखदायो, परचा में जयजश ओळखायो ॥ १. लय-रस गिरधी हिलिया गटकै रे २. स्नेहात्मक परिचय | ३. प्रसन्न । " T ४. अनमना । ५. याद में झूरते हुए । बहु खैले ॥ दुःख पावै । शिक्षा री चोपी : ढा० १२ : ९५
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy