________________
५७
५८
५९
६०
६१
६२
६३
१. लगन ।
८०
खोड़ीली
सुण-सुण
चोखी
प्रकृति नीं ढाळ,
गुण नें बधाय,
सुण-सुण इम सांभळ नर नार,
राखो गणपति सूं इकतार, कार्य भळावै कोय,
प्रकृति
मैटे खोड,
नीं ढाल,
चहूं अति घणी । चोखी प्रकृति नों धणी ॥
तिणरी चूंप अति घणी । धणी ॥
प्रकृति नों
मेटो निज
तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
चोखी
खोड़
चोखी प्रकृति नों
तणी ।
धणी ॥
भणी ।
धणी ॥
घणी ।
मृदु वच प्रकृति नों धणी ॥
आचारज
चोखी प्रकृति नों
हरस सहित करै अंगीकार,
देवे
आचारज सीख, कठिण
तो वदै सुधा सम बाण, चोखी उगणीस द्वादस बास, माघ पंचम तिथ ओलखाय, चोखी प्रकृति नों भिक्षु भारीमाल ऋषराय, प्रसाद
संपति
जयजश
हरस
कल्याण, एह शिक्षा
सुध पख तणी ।,
धणी ॥
बणी ।
भणी ॥