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समझना चाहिए कि जिसने सच्चे देव के यथार्थ स्वरूप को नहीं जाना और उनकी प्रतिमा को अपने इष्टदेव के रूप में स्वीकार नहीं किया, ऐसी आत्माओं को श्री जिनमूर्ति से लाभ न हो तो उसका कारण उनकी अयोग्यता है। जो परमात्मा के स्वरूप को वास्तविक रूप से जानपहचान कर परमात्मा की प्रतिमा को वन्दन-पूजन करते हैं, उनको आर्द्रकुमार की भाँति अवश्य शुभध्यान उत्पन्न होता है तथा अचिन्त्य लाभ मिलता है, इसमें लेशमात्र भी सन्देह
नहीं ।
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