________________
स्तम्भन पार्श्वनाथ की, दूसरी पाटण शहर में तथा तीसरी पाटण के पास में चारूप गाँव में अब विद्यमान हैं। उस पर निम्नानुसार लेख है -
"नमोस्तीर्थकृते तीर्थे, वर्षद्धिक चतुष्टये। आषाढश्रावको गौड़ो कारयेत् प्रतिमा त्रयम् ।।" इत्यादि, इस हिसाब से ये प्रतिमाएँ लगभग 5,86,744 वर्ष पुरानी हैं।
(9) मारवाड़ में नांदिया गाँव में श्री महावीर स्वामी मौजूद थे, तब उनकी मूर्ति स्थापित की हुई है, जिसको जीवितस्वामी कहते हैं।
(10) काठिवाड़ में श्री महुवा गाँव में श्री महावीर स्वामी विचरते थे, उस समय की भरवाई हुई उनकी प्रतिमा है।
(11) जोधपुर के पास ओसिया नगर में श्री वीर निर्वाण के 70 वर्ष पश्चात् स्थापित की हुई श्री महावीर भगवान की मूर्ति श्री रत्नप्रभसूरि द्वारा प्रतिष्ठित की हुई है, जिसे 2453 वर्ष हो गये। अन्य प्राचीन लेख भी वहाँ हैं।
(12) भरुच शहर में श्री मुनिसुव्रतस्वामी के समय की उनकी मूर्ति है, जिसे लाखों वर्ष हो गये।
(13) कच्छ प्रदेश में भद्रेश्वर तीर्थ का जो भव्य और अति प्राचीन जिनालय है उसका जीर्णोद्धार करते समय जब खुदाई का काम हुआ तो जमीन में से एक ताम्रपत्र मिला है, जिस पर प्राचीन समय का लेख है। उसमें लिखा है कि - 'यह मन्दिर वीर संवत् 23 में बनवाया हुआ है, जिसको आज ढाई हजार वर्ष हो गये हैं।'
(14) बीकानेर में श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी के मन्दिर में, चौबीस सौ तथा उससे भी अधिक वर्षों पुरानी सैकड़ों प्रतिमाएँ हैं।
(15) सर कनिंगहाम की स्वयं की 'आर्कियोलॉजिकल रिपोर्ट में मथुरा में प्राप्त हुई कितनी ही मूर्तियों के लेख प्रगट हुए हैं जिनकी नकलें श्री 'तत्त्व-निर्णय-प्रासाद' नाम के ग्रन्थ में छपी हुई हैं जिसे जिज्ञासु पढ़ सकते हैं।
(१६) सम्प्रति राजा द्वारा वीर संवत् 290 के बाद में बनवाई हुई लाखों मूर्तियों में से बहुत सी प्रतिमाएँ मारवाड़, गुजरात के अनेक गाँवों में मौजूद हैं।
पुनः इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थलों पर अनेक प्राचीन प्रतिमाएँ विद्यमान हैं। (17) श्री घोघा में श्री नवखंडा पार्श्वनाथ। (18) श्री फलौदी में श्री फलवृद्धि पार्श्वनाथ। (19) श्री भोयणी में श्री मल्लिनाथजी भगवान। (20) श्री आबू के मन्दिरों में अनेक प्राचीन प्रतिमाएँ हैं। (21) श्री कुमारपाल राजा द्वारा बनवाया हुआ श्रीतारंगाजी तीर्थ का गगनचुम्बी
141