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अनन्तज्ञानी सर्वज्ञ परमात्माओं ने ऐसी घोर हिंसा का सर्वथा निषेध किया है तथा अल्प पाप के कारण अन्न, वनस्पति आदि एकेन्द्रिय पदार्थों को ही भक्ष्य फरमाया है। इस पर भी श्री जिनपूजा के साथ मांस भोजन की तुलना करना, अत्यन्त अज्ञानता एवं धर्मद्वेष का सूचक है।
प्रश्न 48 - पुष्पपूजा से पुष्प के जीवों को कष्ट पहुँचता है, इसका क्या ?
उत्तर - जो फूल भगवान पर चढ़ते हैं, उनके जीवों को कोई कष्ट नहीं होता, बल्कि उनको सुरक्षित स्थान मिलता है। इससे पुष्पपूजा करने वाले तो उन पर दया करने वाले है। उन फूलों को कोई शौकिन लोग ले जाकर हार, गजरा आदि बना कर सूंघते हैं, मसलते हैं, वेश्या अपने पलग पर बिछाती है. अत्तर के व्यापारी उसे चूल्हे पर चढ़ाते हैं, तेल निकालने के लिए उन्हें पीसते हैं, इस तरह भाँति-भाँति से कष्ट पहुँचाते हैं, जबकि जो फूल प्रभु के अंगों पर चढ़ते हैं, उनको तो जीवन भर कष्ट पहुँचाने या मारने की किसी की शक्ती नहीं। इसलिए वे तो सुख से अपनी आयुष्य पूर्ण करते हैं। श्रद्धापूर्वक फूलों को लाकर, उनको हार में पिरोकर विधिपूर्वक भगवान को चढ़ाने वाला पुष्प के जीवों को कष्ट न देकर सुरक्षा प्रदान करता है।
श्री आवश्यक सूत्र की वृहद्वृत्ति के द्वितीय खण्ड में कहा है कि -
"जहा णवणयराइसन्नियेसे केइ पभूय जलाभावओ तण्हाइपरिगया तदपनोदार्थ कृपंखणंतितेसिंच जइवितण्हादिया बड्ढंतिमट्टिकाकद्दमाईहिं य मलिणिज्जन्ति तहावि तदुभयेण चेव पाणिएणं.तेसिं ते तण्हाइया सोय मलो पुख्यओ य फिट्टइ सेसकालं च ते तदण्णे य लोगा सुहभागिणो हयंति एवं दव्यत्थए जइयि असंजमो तहावि तओ चेय सा परिणामसुद्धी हया जाए असंजमो यज्जियं अण्णं च निरयसेसं खयेइत्ति तम्हा विरियाविरएहिं एस दव्यत्थओ काययो सुभाणुयंधी पभूयतरणिज्जराफलो यत्ति काउणमित्ति"
___ "जिस प्रकार किसी नये नगर में पर्याप्त जल के अभाव में बहुत से लोग प्यास से मरते हों तो प्यास दूर करने के लिये वे कुआ खोदते है। उस समय उन्हें अधिक प्यास लगती है तथा कीचड़ और मिट्टी से शरीर मलिन बन जाता है, तो भी कुआ खोदने के बाद उसमें से निकले हुए पानी से उनकी प्यास बुझ जाती है, तथा पहले लगा हुआ कीचड़ भी दूर हो जाता है। उसके पश्चात् वे खोदने वाले तथा अन्य लोग उस पानी से सुख भोगते हैं।
__ उसी प्रकार द्रव्यपूजा में जो स्वरूप जीवहिंसा दिखाई देती है पर उस पूजा से परिणाम की ऐसी शुद्धि होती है कि जिससे असंयम से उत्पन्न हुए अन्य सन्ताप भी नष्ट हो जाते हैं। अर्थात् यह पूजा संसार को क्षीण करने का सयल कारण बनती है। इस कारण देशविरति श्रावक के लिए जिनपूजा
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