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________________ कितने ही भयसूत्र और कितने ही वर्णनसूत्र होते हैं। इस प्रकार सूत्र अनेक भेद वाले होते हैं। उनके गम्भीर आशय को समुद्र के समान बुद्धि के स्वामी टीकाकार आदि ही समझ सकते हैं, अन्य तो उनके विषय का स्पर्श भी नहीं कर सकते। इसके उपरान्त भी तुच्छ बुद्धि वाले लोग अपनी बुद्धि की कल्पना से चाहे जो कहें, पर ऐसे लोग जो कुछ भी कहते हैं उसे असत्य और अप्रामाणिक ही समझना चाहिए। प्रश्न 40 - श्री जिनप्रतिमा सम्बन्धी उल्लेख कौन-कौन से सूत्रों में हैं? उत्तर - सूत्रों में जिनप्रतिमा और उनकी पूजा के सम्बन्ध में सैकड़ों उल्लेख प्राप्त होते हैं। श्री महाकल्पसूत्र, श्री भगवतीसूत्र, श्री उववाई सूत्र, श्री आचारांग, श्री ज्ञातासूत्र, श्री उपासकदशांगसूत्र, श्री कल्पसूत्र, श्री व्यवहारसूत्र, श्री आवश्यकसूत्र, श्री शालिभद्रचरित्र, श्री रायपसेणीसूत्र तथा अन्य महत्त्वपूर्ण शास्त्रों के कतिपय उल्लेखों को आगामी पृष्ठों में अर्थ सहित दिया जा रहा है। उल्लेख 1 यदि प्रतिमापूजन का प्रचलन न होता तो मूलसूत्रों व अन्य ग्रन्थों में क्यों किया जाता ? इस तथ्य पर पाठ स्वयं विचार करें। इसका 103
SR No.006152
Book TitlePratima Poojan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay, Ratnasenvijay
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2004
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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