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________________ ६६४] सिद्धान्तकौमुदीपरिशिष्टे १६६३ * चतुर्वेदादिभ्य उभयपदवृद्धिश्च * (५-१-१२४) चतुर्वेद चतुर्वर्ण चतुराश्रम सर्वविद्य त्रिलोक त्रिस्वर षड्गुण सेना अनन्तर संनिधि समीर उपमा सुख तदर्थ इतिह मणिक । इति चतुर्वेदादिः ॥१६३। १७६३ पत्यन्तपुरोहितादिभ्यो यक् । (५-१-१२८) पुरोहित । राजासे । प्रामिक पिण्डिक सुहित वालमन्द (बालमन्द ) खण्डिक दण्डिक वर्मिक कर्मिक धर्मिक शितिक सूतिक मूलिक तिलक अञ्जलिक (अन्तलिक) रूपिक ऋषिक पुत्रिक अविक छत्रिक पर्षिक पथिक चर्मिक प्रतिक सारथि प्रास्थिक सूचिक संरक्ष सूचक ( संरक्षसूचक ) नास्तिक अजानिक शाकर नागर चूडिक । इति पुरोहितादिः ॥ १६४ ॥ १७६४ प्राणभृजातिक्योवचनोदात्रादिभ्योऽन् । (५-१-१२६) उद्गातृ उनेतृ प्रतिहत प्रशास्तृ होतृ पोत हत रथगणक पत्तिगणक सुष्ठ दुष्ठु अध्वर्यु वधू सुभग मन्त्रे । इत्युगात्रादिः॥ १६५॥ १७६५ हायनान्तयुवादिभ्योऽण् । (५-१-१३०) युवन् स्थविर होत यजमान । पुरुषासे । भ्रातृ कुतुक श्रमण ( श्रवण ) कटुक कमण्डलु कुस्त्री सुस्त्री दुःस्त्री सुहृदय दुहृदय सुहृद् दुहृद् सुभ्रातृ दुर्धात वृषल परिव्राजक सब्रह्मचारिन् अनृशंस । हृदयासे । कुशल चपल निपुण पिशुन कुतूहल क्षेत्रज्ञ । श्रोत्रियस्य यलोपश्च । इति युवादिः ।। १६६ ॥ १७६८ द्वन्द्वमनोशादिभ्यश्च। (५-१-१३३) मनोज्ञ प्रियरूप अभिरूप कल्याण मेधाविन् पाढय कुलपुत्र छान्दस छात्र श्रोत्रिय चोर धूर्त विश्वदेव युवन् कुपुत्र मामपुत्र प्रामकुलाल प्रामड (प्रामपण्ड ) प्रामकुमार सुकुमार बहुल अवश्यपुत्र अमुष्यपुत्र अमुष्यकुल सारपुत्र शतपुत्र । इति मनोज्ञादिः ॥ १६७ ॥ तस्य पाकमूले पील्वादिकर्णादिभ्यः कुणब्जाहचौ। (५-२-२४) पीलु कर्कन्धू (कर्कन्धु ) शमी करीर बल ( कुवल ) बदर अश्वत्थ खदिर । इति पील्वादिः ॥१६८।। कर्ण अक्षि नख मुख केश पाद गुल्फ भ्र दन्त ओष्ठ पृष्ठ । इति कर्णादिः ॥ १६६ ॥ १८३७ तदस्य संजातं तारकादिभ्य इतच् । (५-२-३६) तारका पुष्प कणेक मञ्जरी ऋजीष क्षण सूत्र मूत्र निष्क्रमण पुरीष उच्चार प्रचार विचार कुड्मल कण्टक मुसल मुकुल कुसुम कुतूहल स्तबक ( स्तवक ) किसलय पल्लव खण्ड वेग निद्रा मुद्रा बुभुक्षा धेनुष्या पिपासा श्रद्धा अभ्र पुलक अङ्गारक
SR No.006151
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirdhar Sharma, Parmeshwaranand Sharma
PublisherMotilal Banrassidas Pvt Ltd
Publication Year1979
Total Pages716
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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