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________________ व्याकरणचन्द्रोदय पं० चारुदेव शास्त्री व्याकरणचन्द्रोदय अब सम्पूर्ण पाँच खण्डों में प्रकाशित हो चुका है। प्रथम खण्ड कारक-निरूपणात्मक है / द्वितीय कृत्तद्धित-विषयक है। तृतीय तिङव्याख्यान-परक है और चतुर्थ स्त्रीप्रत्यय-सुप्-अव्ययार्थ-निदर्शक है। प्रञ्चम खण्ड शिक्षा-संज्ञा-परिभाषा-सन्धि-लिङ्ग-निरूपक है। प्रक्रिया-ग्रंथ होते हुए भी यह कृति व्याक्रियाप्रधान है। लक्ष्यलक्षणे व्याकरणम्--यह सर्वसम्मत व्याकरण का स्वरूप माना जाता है। तो भी पूर्व विद्यमान व्याकृतिग्रंथों में लक्ष्य का अत्यल्प उपादान है। पुरानी शैली से लिखे गये वृत्ति आदि ग्रंथों में एक-दो लक्ष्यों में लक्षण (सूत्र) की प्रवृत्ति को दिखाने से वृत्तिकारादि अपने को कृतार्थ मानते हैं। नूतन रीति से लिखे गये व्याकरण ग्रंथों में प्रयोगों के उदाहरण देने का प्रयत्न तो है, पर वे उदाहरण या तो स्वयं घटित होते हैं, या भट्टिकाव्यादि से उठाये जाते हैं, जहाँ व्याकरण सिखाने के लिये वे घड़े गये हैं और जिनमें अनेकानेक ऐसे हैं जो साहित्य में कहीं भी प्रयुक्त नहीं हुए, अतः अव्यवहार्य हैं। इस वर्ग के विद्वान् भूल जाते हैं कि व्याकरण अन्वाख्यान-स्मृति है-व्याक्रियन्त पदानीह क्रियन्ते नूतनानि न। इस कृति का वाग्व्यवहार सिखाना प्रधान लक्ष्य है। प्रक्रिया इस साध्य में साधनमात्र है। व्यवहार उपकार्य है, प्रक्रिया उपकारक। अतः इस कृति में जहां सूत्रादि की विशद व्याख्या की गई है. सत्रादि की प्रवत्ति द्वारा सरल. शङ्कासमाधान सहित, क्रम-बद्ध रूपसिद्धि दी गई है, वहां वैदिक-लौकिक उभयविध वाङमय से शतशः वाक्य उद्धृत किये हैं जो व्याकरण-व्युत्पादित उस-उस लक्ष्य को प्रयोगावतीर्ण दिखाते हुए उसकी साधुता को यथेष्ट रूप से प्रमाणित करते हैं और व्यवहार सिखाने में अत्यन्तोपकारक हैं। स्थान-स्थान पर अपेक्षित नतनार्थोपन्यास, पूर्वमतसमीक्षा, संक्षिप्त वैयाकरणोक्तिविशदीकरण, यथासंभव अष्टाध्यायीगतसूत्रक्रमाश्रयण, आदि असामान्य धर्म इस कृति को अन्य कृतियों से पृथक करते हैं और इसकी मौलिकता की ओर संकेत करते हैं। प्रथम खण्ड (कारक व समास) (Ed. 1969) 8.00 द्वितीय खण्ड (कृत व तद्धित) (Ed. 1970) 22.50 तृतीय खण्ड (तिङन्त) (Ed. 1971) 40.00 चतुर्थ खण्ड (स्त्रीप्रत्यय-सुप्-अव्ययार्थ) (Ed. 1972) 20.00 पंचम खण्ड (संज्ञा-परिभाषा-सन्धि-लिङ्गानुशासन) (Ed. 1973) 55.00 आकार डिमाई :: कुल पृष्ठ 2,332 :: कपड़े की जिल्द सहित मोतीलाल बनारसीदास दिल्ली :: वाराणसी :: पटना
SR No.006150
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirdhar Sharma, Parmeshwaranand Sharma
PublisherMotilal Banrassidas Pvt Ltd
Publication Year1982
Total Pages714
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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