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भाषार्थः
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लघुसिद्धान्तकौमुद्याम् प्रयोगाः
भाषार्थः । प्रयोगाः रथिकाश्वारोहम्-रथिक और घुड़सवारों शमीदृषदम्-शमी और पाषाण । का समूह । सू० ६८६
वाक्त्विषम् वाणी और कान्ति । वाक्त्वचम्-वाणी और त्वचा ।
नोपानहम्-छाता जूता। स्वक्त्रजम्-त्वचा और माला । । प्रावृटशरदौ-वर्षा और शरद् ऋतु ।
इति द्वन्द्वः।
अथ समासान्ताः सू० ६६०
रम्यपथः-रमणीय मार्गवाला (देश)। अर्धर्चः-ऋचा का आधा भाग ।
सू० ६६१ विष्णुपुरम्-विष्णु का पुर, बैकुण्ठ। गवाक्षः-खिड़की। विमलापम्-निर्मल जलवाला (तालाब) ।
स० ६६२ राजधुरा-राजभार ।
प्राध्वः-रास्ते से निकला हुआ था। अक्षधूः-चक्र का अग्रभाग।
__ सू० ६६३ दृढधः-दृढ़ नाभि (छिंद्र) वाला (चक्र) | सुराजा-शोभन राजा । सखिपथः-मित्रमार्ग।
अतिराजा-बड़ा राजा। ___ अथ तद्धिताः, तत्रादौ साधारणाः
स० ६६५ । दैवम्-देवता का अपत्य आदि । श्राश्वपतम-अश्वपति का अपत्य-सन्तान | बाह्मः-बहिर्भवः-बाहर आनेवाला । आदि।
स. १६८ गाणपतम्-गणपति का अपत्य आदि ।
बाहीकः-बाहर होनेवाला ( गँवार ) ! स० ६६६
गव्यम्-गौ का अपत्य आदि । दैत्यः-दिति की सन्तान, असुर ।
सू० ६६६ स०६६७ श्रादित्यः-अदिति का अपत्य सर्य, या श्रौत्स:-उत्स का पुत्र ।। आदित्य का अपत्य ।
सू० १००० प्राजापत्यः-प्रजापति का पुत्र । स्त्रैणः-स्त्री का अपत्यादि। दैव्यम्-देवता का अपत्य आदि । पोस्नः-पुरुष का अपत्य आदि ।