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परिशिष्टम्
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प्रयोगः भाषार्थः प्रयोगः
भाषार्थः सू० ८०२
सू०८१२ उखासत्-हाण्डी से गिरा हुआ। | सरसिजम्-कमल । पवित्-पत्ते से गिरा हुआ। सरोजम्- , वाहभ्रट-घोड़े पर से गिरनेवाला।
सू०८१३ सू०८०३
प्रजा-सन्तान या प्रजा। उष्णभोजी-गर्म खानेवाला।
सू०८१५ स०८०४
स्नातम्-स्नान किया। दर्शनीयमानी-अपने को दर्शनीय मानने- | स्तुतः-स्तुति किया। वाला।
कृतवान्-किया।
स. ८१६ सू०८०५
शीर्णः-हिंसित। पण्डितम्मन्यः-अपने को पण्डित मानने
मिन्नः-भिन्न । वाला।
छिन्नः--कटा हुआ । पण्डितमानी ,
सू०८१७ स०८०६
द्राण:-बुरी तरह से भाग गया। कालिम्मन्या-अपने को काली माननेवाली | ग्लानः-ग्लानि को प्राप्त । स०८०७
सू० ८१८ सोमयाजी-सोमयज्ञ करनेवाला ।। लूनः-कटा हुआ। अग्निष्टोमयाजी-अग्निष्टोमयज्ञ करने
जोनः-वृद्ध । स०८०८
सू०८२०
भुग्नः-टेढ़ा। पारदृश्वा--मर्मज्ञ । सू० ८०६
उच्छूनः--फूला हुआ।
स०८२१ राजयुध्वा-राजा को युद्ध करानेवाला।
शुष्कः-सूखा हुआ। राजकृत्वा--राजा बनानेवाला ।
सू०८२२ स०८११
पक्वः-पका हुआ। सहयुध्वा--साथ युद्ध करनेवाला। सहकृषा-साथ करनेवाला।
क्षामः-कृश ।
सू० ८१६
वाला।
सू० १२३