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धातवः
बघुसिद्धान्तकौमुद्याम
अदादिगणस्थ धातुपाठः भाषार्थः धातवः
भाषार्थः सूत्राङ्का: ५५२
ख्या (प्रकथने)-कहना। अढ़ (भक्षणे)-खाना।
| विद (ज्ञाने)-जानना। सूत्राङ्काः ५५८
स० ५७३ हन (हिंसागत्योः)-मारना, चलना। अस (भुवि)-होना (सत्ता)। सू०५६५
सू० ५७७ यु (मिश्रणामिश्रणयोः)--मिलना इण (गतौ)-जाना। अलग होना।
स० ५८२ स० ५६६
शीङ (स्वप्ने)-सोना।. या (प्रायणे)-पहुँचना, जाना।
सृ०५८४ सू० ५६७
इङ् (अध्ययने)-पढ़ना। बा (गतिगन्धनयोः)-जाना, हिंसा करना
स. ५८८ भा (दीप्तौ)-चमकना। ष्णा (शौचे)-स्नान करना, पवित्र होना
दुह (प्रपूरगो)-दोहना। आ (पाके)-पकाना।
सू० ५६० द्रा (कुत्सायां गता)-निन्दित गमन । | दिह-(उपचये)-बढ़ना-लीपना। प्सा (भक्षणे)--खाना।
स. ५१२ रा (दाने)-देना।
| लिह--(श्रास्वादने)-चाटना । ला (श्रादाने)-लेना।
| ब्रूम-(व्यक्तायां वाचि)-स्फुट बोलना । दाप (लवने)-काटना।
सू० ५६८ पा (रक्षणे) रक्षा करना। | ऊणु (अाच्छादने)-टकना।
इत्यदादयः॥२॥
जुहोत्यादिगणस्थधातुपाठः भाषार्थः । धातक भाषार्थः सू०६०४
सू०६०६ हु ( दानाऽदनयोः) होम करना, खाना । । ही (लज्जायाम)--लज्जित होना २०६०८
(शरमाना) भिभी (भये) डरना।
पू (पालनपूरणयोः)-पालन, पूरा करना ।
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धातवः